Narayana Atharvashirsha
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हस्तामलक स्तोत्र दक्षिण भारत के श्रीबली नामक गाँव में प्रभाकर नाम के एक विद्वान ब्राह्मण रहते थे। उनका एक पागल सा लड़का था। वह लड़का बचपन से ही सांसारिक कार्यों के प्रति उदासीन वृत्ति रखता था। उसका व्यवहार एक गूंगे और बहले बालक के समान था। एक बार जब शंकराचार्य अपने शिष्योंसहित इस गाँव में…
।।श्रीदत्तपुराणम्।। श्रीदत्तपुराण की रचना श्रीगंगाजी के किनारे ब्रह्मावर्त में सन १८९२ ईस्वी में. हुई। इसकी टीका का निर्माण सात साल बाद श्री सरस्वतीजी के किनारे सिद्धाश्रम क्षेत्र में हुई। इस ग्रंथ के ज्ञान, उपासना और कर्म इस प्रकार तीन कांड है। ज्ञान कांड के दो, उपासना कांड के चार और कर्मकांड के दो मिलाकर इस…
॥ श्रीहनुमद्वन्दनम् ॥ अञ्जनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशनम् । कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लङ्काभयङ्करम् ॥ १ ॥ अञ्जनीगर्भसम्भूत कपीन्द्रसचिवोत्तम । रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनूमन् रक्ष सर्वदा ॥ २ ॥ अतुलितबलधामं स्वर्णशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ॥ ३ ॥ अपराजित पिङ्गाक्ष नमस्ते राजपूजित । दीने मयि दयां कृत्वा मम दुःखं विनाशय ॥ ४ ॥ अशेषलङ्कापतिसैन्यहन्ता श्रीरामसेवाचरणैककर्ता ।…
“आद्य शंकराचार्य विरचित तुळजाष्टक” टाईप करण्याचा योग शेवटी आज जुळुन आला! २६ ऑक्टोबर २००१ च्या ‘सकाळ’च्या दसरा विशेष पुरवणीत श्री. वा.ल. मंजूळ यांचा “एक दुर्मिळ हस्तलिखित” असा लेख छापुन आला होता! त्यात त्यांनी म्हटल्याप्रमाणे त्यांना श्री तुळजाभवानी स्तोत्र या ग्रंथाचे लहानसे हस्तलिखित मुंगी-पैठण येथे, श्री कृष्णदयार्णवांच्या सांप्रदायिक सनातन मठामधे मिळाले. त्या लेखातील काही भागः आद्य…
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समय कम है तो कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें Siddha Kunjika Stotra नवरात्र के नौ दिनों में विधि-विधान पूर्वक दुर्गा सप्तशती के पाठ से माता की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है, ऐसी मान्यता है। जो लोग नियमित दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं उन्हें संपूर्ण पाठ करने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है। जो…