Gajendra Moksha Stotra in Sanskrit
Gajendra Moksha Stotra in Sanskrit
श्री श्री नर्मदाष्टक श्रीमद आद्य शंकराचार्य विरचित नर्मदाष्टक सबिन्दुसिन्धुसुस्खलत तरड्ग भड्गरन्जितं द्विषत्सुपापजातक अरिवारि संयुतम | कृतान्तदूत कालभूत भीतिहारि वर्मदे त्वदीयपादपंकजं नमामि देवि नर्मदे ||१|| त्वदम्बुलीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकं कलौमलौघ भारहारि सर्वतीर्थनायकम| सुम्त्स्यकच्छ नक्रचक्र चक्रवाक शर्मदे त्वदीयपादपंकजं नमामि देवि नर्मदे ||२|| महागभीर नीरपूर पापधूत भूतलं ध्वनत्समस्त पातकारि दारितापदाचलम | जगल्लये महाभय मृकण्डुसूनुहर्म्यदे त्वदीयपादपंकजं नमामि देवि…
निषेवते प्रशस्तानी निन्दितानी न सेवते । अनास्तिकः श्रद्धान एतत् पण्डितलक्षणम् ॥1 भावार्थ : सद्गुण, शुभ कर्म, भगवान् के प्रति श्रद्धा और विश्वास, यज्ञ, दान, जनकल्याण आदि, ये सब ज्ञानीजन के शुभ- लक्षण होते हैं । क्रोधो हर्षश्च दर्पश्च ह्रीः स्तम्भो मान्यमानिता। यमर्थान् नापकर्षन्ति स वै पण्डित उच्यते ॥2 भावार्थ : जो व्यक्ति क्रोध, अहंकार, दुष्कर्म,…
Ganapati Atharvashirsham Meaning in English and Hindi By Dr. Vasant Lad Aum! Let us listen with our ears to that which is auspicious, adorable one. Let us perceive with our eyes what is holy and auspicious. With strong, stable body and limbs, may we seek the divine grace and accept the noble order of…
॥ श्रीहनुमद्वन्दनम् ॥ अञ्जनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशनम् । कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लङ्काभयङ्करम् ॥ १ ॥ अञ्जनीगर्भसम्भूत कपीन्द्रसचिवोत्तम । रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनूमन् रक्ष सर्वदा ॥ २ ॥ अतुलितबलधामं स्वर्णशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ॥ ३ ॥ अपराजित पिङ्गाक्ष नमस्ते राजपूजित । दीने मयि दयां कृत्वा मम दुःखं विनाशय ॥ ४ ॥ अशेषलङ्कापतिसैन्यहन्ता श्रीरामसेवाचरणैककर्ता ।…
लहानपणी बालोपासना आणि रामरक्षेबरोबर हे गणपतीस्तोत्र देवाजवळ दिवा लागला की म्हणायचो. जयजयाजी गणपती, मज द्यावी विपुल मती । करावया तुमची स्तुती, स्फूर्ती द्यावी मज अपार ।। तुझे नाम मंगलमूर्ती, तुज इंद्रचंद्र ध्याती । विष्णु शंकर तुज पुजिती, अव्यया ध्याती नित्यकाळी ॥ तुझे नाम विनायक, गजवदना तू मंगलदायक । सकल विघ्ने कलिमलदाहक, नामस्मरणे भस्म होती ॥…
हस्तामलक स्तोत्र दक्षिण भारत के श्रीबली नामक गाँव में प्रभाकर नाम के एक विद्वान ब्राह्मण रहते थे। उनका एक पागल सा लड़का था। वह लड़का बचपन से ही सांसारिक कार्यों के प्रति उदासीन वृत्ति रखता था। उसका व्यवहार एक गूंगे और बहले बालक के समान था। एक बार जब शंकराचार्य अपने शिष्योंसहित इस गाँव में…