तमाचे की करामात

मुंबई के नजदीक गणेशपुरी है। गणेशपुरी, वज्रेश्वरी में नाना औलिया नाम के एक महापुरुष रहा करते थे। वे मुक्तानंदजी के आश्रम के नजदीक की सड़क पर मैले कुचैले कपड़े पहने पड़े रहते थे अपनी निजानंद की मस्ती में। वे दिखने में तो सादे-सूदे थे पर बड़ी ऊँची पहुँच के धनी थे।

उस समय घोड़ागाड़ी चलती थी, ऑटोरिक्शा गिने गिनाये होते थे। एक बार एक डिप्टी कलेक्टर (उपजिलाधीश) घोड़ागाड़ी पर कहीं जा रहा था। रास्ते में बीच सड़क पर नाना औलिया टाँग पर टाँग चढ़ाये बैठे थे।
कलेक्टर ने गाड़ीवान को कहाः “हॉर्न बजा, इस भिखारी को हटा दे।”

गाड़ीवान बोलाः “नहीं, ये तो नाना बाबा हैं ! मैं इनको नहीं हटाऊँगा।”

कलेक्टरः “अरे ! क्यों नहीं हटायेगा, सड़क क्या इसके बाप की है ?” वह गाड़ी से उतरा और नाना बाबा की डाँटने लगाः “तुम सड़क के बीच बैठे हो, तुमको अच्छा लगता है ? शर्म नहीं आती ?” बाबा दिखने में दुबले पतले थे लेकिन उनमें ऐसा जोश आया कि उठकर खड़े हुए और उस कलेक्टर का कान पकड़कर धड़ाक से एक ने तमाचा जड़ दिया। आस पास के सभी लोग देख रहे थे कि नाना बाबा ने कलेक्टर को तमाचा मार दिया। अब तो पुलिस नाना बाबा का बहुत बुरा हाल करेगी।

लेकिन ऐसा सुहावना हाल हुआ कि ‘साधूनां दर्शनं लोके सर्वसिद्धकरं परम्।’ की तरह ‘साधूनां थप्पड़ं सर्वसिद्धिकरं परं… महापातकनाशनं… परं विवेकं जागृतम्।’ पंजा मार दिया तो उसके पाँचों विकारों का प्रभाव कम हो गया। कलेक्टर ने सिर नीचे करके दबी आवाज में गाड़ीवान को कहाः “गाड़ी वापस लो।” जहाँ ऑडिट करने जा रहा था वहाँ न जाकर वापस गया अपने दफ्तर में और त्यागपत्र लिखा। सोचा, “अब यह बंदों की गुलामी नहीं करनी है। संसार की चीजों को इकट्ठा कर-करके छोड़कर नहीं मरना है, अपनि अमर आत्मा की जागृति करनी है। मैं आज से सरकारी नौकरी को सदा के लिए ठुकराता हूँ और अब असली खजाना पाने के लिए जीवन जीऊँगा।’ बन गये फकीर एक थप्पड़ से।

कहाँ तो एक भोगी डिप्टी कलेक्टर और नाना साहब औलिया का तमाचा लगा तो ईश्वर के रास्ते चलकर बन गया सिद्धपुरुष !

तुम में से भी कोई चल पड़े ईश्वर के रास्ते, हो जाय सिद्धपुरुष ! नानासाहब ने एक ही थप्पड़ मारा और कलेक्टर ने अपना काम बना लिया। अब मैं क्या करूँ ? थप्पड़ से तुम्हारा काम होता हो तो मैं उसके लिए भी तैयार हूँ और कहानी-कथा, सत्संग सुनाने से तुम्हारा काम होता हो तो भी मैं तैयार हूँ लेकिन तुम अपना काम बनाने का इरादा कर लो। लग जाय तो एक वचन भी लग जाता है।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *