Jitante Stotram in Sanskrit
Jitante Stotram in Sanskrit
श्री विष्णूच्या १६ नावांचे स्तोत्र (श्रीविष्णोषोडशनामस्तोत्रं) औषधे चिंतयेद्विष्णुं भोजने च जनार्दनं शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिं युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं नारायणं तनुत्यागे श्रीधरं प्रियसंगमे दु:स्वप्ने स्मरगोविंदं संकटे मधुसूदनं कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनं जलमध्ये वराहं च पर्वते रघुनंदनं गमने वामनं चैव सर्वकार्येषु माधवं षोडशैतानी नामानि प्रातरुत्थायः पठेत् सर्वपापविनुर्मुक्तो विष्णुर्लोके महीयते ||
List of Suktas and Stotras Purush Suktam Manyu Suktam Ambhruni Suktam Shree Suktam Balittha Suktam Saraswati Sukta Sangah Ratri Suktam Chatuh Shloki Bhagavatam Vishnu Sahastranam Stotram Haygreev Sampada Stotram Purushottam Yog Bhagavat Dhyanam Prarthana Panchakam Brahmasutranu Bhashyam Jitante Stotram Gajendra Mokshanam Dwadash Stotram Dadhivaman Stotram Damodar Stotram Sri Venkatesh Stotram Shanaishchar Kruta Sri Nrusimha Stuti…
Argala Stotra Argala Stotra in Hindi अर्गलास्तोत्रम् जयत्वंदेविचामुण्डेजयभूतापहारिणि। जयसर्वगतेदेविकालरात्रिनमोऽस्तुते॥१॥ जयन्तीमङ्गलाकालीभद्रकालीकपालिनी। दुर्गाशिवाक्षमाधात्रीस्वाहास्वधानमोऽस्तुते॥२॥ मधुकैटभविध्वंसिविधातृवरदेनमः। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥३॥ महिषासुरनिर्नाशिभक्तानांसुखदेनमः। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥४॥ धूम्रनेत्रवधेदेविधर्मकामार्थदायिनि। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥५॥ रक्तबीजवधेदेविचण्डमुण्डविनाशिनि। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥६॥ निशुम्भशुम्भनिर्नाशित्रैलोक्यशुभदेनमः। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥७॥ वन्दिताङ्घ्रियुगेदेविसर्वसौभाग्यदायिनि। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥८॥ अचिन्त्यरूपचरितेसर्वशत्रुविनाशिनि। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥९॥ नतेभ्यःसर्वदाभक्त्याचापर्णेदुरितापहे। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥१०॥ स्तुवद्भयोभक्तिपूर्वंत्वांचण्डिकेव्याधिनाशिनि। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥११॥ चण्डिकेसततंयुद्धेजयन्तिपापनाशिनि। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥१२॥ देहिसौभाग्यमारोग्यंदेहिदेविपरंसुखम्। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥१३॥ विधेहिदेविकल्याणंविधेहिविपुलांश्रियम्। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥१४॥ विधेहिद्विषतांनाशंविधेहिबलमुच्चकैः। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥१५॥ सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥१६॥ विद्यावन्तंयशस्वन्तंलक्ष्मीवन्तञ्चमांकुरु। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥१७॥ देविप्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पनिषूदिनि। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥१८॥ प्रचण्डदैत्यदर्पघ्नेचण्डिकेप्रणतायमे। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥१९॥ चतुर्भुजेचतुर्वक्त्रसंस्तुतेपरमेश्वरि। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥२०॥ कृष्णेनसंस्तुतेदेविशश्वद्भक्त्यासदाम्बिके। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥२१॥ हिमाचलसुतानाथसंस्तुतेपरमेश्वरि। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥२२॥ इन्द्राणीपतिसद्भावपूजितेपरमेश्वरि। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥२३॥ देविभक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके। रूपंदेहिजयंदेहियशोदेहिद्विषोजहि॥२४॥…
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