Sanskrit Swagat Geet – Swagat Geet in Hindi

स्वागत—गीतम्


महामहनीय मेधाविन्, त्वदीयं स्वागतं कुर्मः।
गुरो गीर्वाणभाषायाः, त्वदीयं स्वागतं कुर्मः।।
दिनं नो धन्यतममेतत्, इयं मंङ्गलमयी वेला।
वयं यद् बालका एते, त्वदीयं स्वागतम् कुर्मः॥
न काचिद् भावना भक्तिः, न काचित् साधना शक्तिः।
परं श्रद्धा-सुमाञ्जलिभिः, त्वदीयं स्वागतं कुर्मः।
किमधिकं ब्रूमहे श्रीमन् निवेदनमेतदेवैकम्।
न बाला विस्मृतिं नेयाः त्वदीयं स्वागतं कुर्मः॥

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कला अंकुर स्वागत गीत

स्वागतम शुभ स्वागतम, कला अंकुरे तव स्वागतम,
कला के अंकुर सुपल्लवित हों भाव भरें नवयुग में हम |

ललित कलाओं की निर्झरणी में नित नूतन कमल खिलें,
अंतर के मधुरिम भावों को भाषा सुर लय ताल मिलें |

शारदे माँ कल्याणी मुखरित कर सबकी वाणी,
ज्ञान सुधा बरसा दानी सरस्वती वीणा पाणी |

कलापूर्ण हो संस्कारित हो जन जन का व्यक्तित्व महान,
गौरवशाली भारत फिर से पाए जग में नव सम्मान |

स्वागतम शुभ स्वागतम……….

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Swag se karenge sabka swagat .Sanskrit songs

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Swagat Geet in Hindi

आपका स्वागत हैं श्रीमान्,आपका स्वागत है श्रीमान्-2..
बड़े भाग्य जो आप बने है,हम सबके मेहमान।।2।।
हुऐ मनोरथ पूर्ण हमारे,माननीये से मिलकर।
चार चाँद लगा दिये हमारे,इस पावन अवसर पर।
आज आपके शुभागमन पर,बढी हमारी शान।।2।।…
हम सबका उत्साह आपने, कितना आज बढाया।
हुऐ कृतार्थ आज हम सब,मन फूला न समाया।
किस प्रकार से करें आपका,हम स्वागत और सम्मान।।2।।..
अभिनन्दन् हम करें आपका,करें इसे स्वीकार।
हैं श्रीमान प्रफुल्लित कितना,शान्ति कुंज परिवार।।
करना क्षमा हुई जो भूलें,अगर कहीं अन्जान।
आपका स्वागत हैं श्रीमान्, आपका स्वागत हैं श्रीमान्।।2।।
साधन कम पर भाव विहवल हैं,स्वागत को श्रीमान्।
आशा हैं स्वीकार करेगें,भाव सुमन का हार।।
आपका स्वागत हैं श्रीमान्,आपका स्वागत हैं श्रीमान्…..

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नन्ही परी की स्वागत में

फिर आँगन ने मुस्काया है
फूलों ने अपनी छटा बिखेरी
फिर घर को महकाया है
रात चाँदनी गाती-गीत
नन्ही परी की स्वागत में
अम्बर भी नीचे झुक आया है

सूरज अपनी प्रथम किरणों
से चरणों को धोती,
सुरिली ठण्डी हवा तन को शीतलता देती
समूचा ओस की बूंदे नगीना बन छाया है
देखो नन्हीं परी की स्वागत में
सूरज अपनी तेवर कम कर आया है

कटीले वन पर्वत सुगम सा जान पड़ता
नदी की लहरे एक नई उमंग सा लगता
वैसे ही तेरा स्पर्श है दृग सुमनों सा साया है
नन्ही परी तेरी स्वागत में
आज सबका मन हर्षाया है।

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इस स्वागत के मोह मे स्वर क्यों कम्पित हो रहा है ,
शून्य के आगोश मे ये कौन विस्मित चल् रहा है ,
दिशाओं की शिराएं हैं अब फट चुकी ,
ये आंधी ओर प्रलय का कौन मंगल कर रहा है ,
स्निग्ध लौ मे जलने वाला , अक्षय ज्वाला मे है बदल चुका ,
पाथेय चलता -चलता ,मरू मन के जैसा हो चुका है ,
घेर लो इसे तुम अश्रुओं की धारा मे ,
मेरा ह्रदय उथल – पुथल हो रहा है,
जाग कहां ,यहां तो धमनियां ,निश्वासों के साथ सोई हैं ,
एक तत्व दर्शन का आज कहां खो रहा है…

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कविता – स्वागत
Mradul Kumarsingh Mradul Kumarsingh
Mere Alfaz
नयी साल का नया नया दिन
सुबह उतार के कोहरा
धूप में ख़ूब नहाया
नये साल की
नयी सांझ से
पोछ के तन अपना अब
रात नयी पहनेगा
नये साल की
बस
कल की भोर फिर वही
एक पुरानी आदत

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गंगा के पावन तट पर
मेले का होता हर साल आयोजन
देखते ही बनता है रंगीन नज़ारा
तट पर होता है दिव्य दर्शन।
दूर शहर और गाँव से
चलकर आते बूढे और जवान
हर हर गंगे का मंत्र जप
ध्येय गंगा का पवित्र नहान।

श्रद्धा और भक्ति का पवित्र बंधन
खींच लाती सबको कराने गंगा दर्शन
बिश्वास की एक डुबकी तोड़ती
सारे जग माया बंधन ।
औरत हो या फिर मर्द
तट पर सब एक समान
सबका अपना अपना संकल्प
तरसता मोक्ष को हर इन्सान।
मनभावन गीत गाता
खरीद दारी पर मन बहलाता
बच्चों को मेला घुमाता
दिखता श्रद्धालु खेलता खाता।
जगमग रोशनी, चार चाँद लगाता
संध्या आरती ह्रदय द्वार खोलता
गंगा मैया का जयघोष करता
अभिनव दृश्य का साक्षी,प्रयाग खुशी का पर्व मनाता।।

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नव वर्ष तुम्हारा स्वागत

नई ख़ुशबू है
हवाओं में
नया उजाला फैला है
नई नई उम्मीदों ने
अपना दामन खोला है
पटचित्र नए उकेरूँगी
सुर ताल राग से खेलूँगी
मन के चोले को झाड़ पोंछ कर
रंग नए बिखेरूँगी
आभार सभी का ,
जो मेरी इस यात्रा के
सहयात्री बने
उम्मीद यही
पथ दुर्गम हो तो भी वो
मेरे संग चले
मिल कर हम सब
इस आसमान को
नवल रंगो से भर देंगे
सुख के चौक पुराएँगे
प्रेम रंगों से, मन के द्वारे
नई रंगोली बनाएँगे
नए साल में नई सोच
नई उम्मीद नया विश्वास
हे नव वर्ष के प्रथम प्रभात
दे सबको ख़ुशियों का उजास

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ढलती शाम और डूबता सूरज..
रात्रि के दरवाजे पर
आखिरी दस्तक दे..रहे हैं।

सूर्य का ताप.. जैसे.. अंँधेरी रात ने
लील लिया हो।

हर लिया हो
बीते साल की बाधाओं ने
जैसे..सारा तेज.. ।

लबालब भरी सजल आंँखें..
तकती हैं..
बीते साल डूबे ..
सभी सितारों को आसमान में।

अनमना सा सूर्य
साल के
अन्तिम क्षणों में
बेहद निस्तेज हो चला है..

जैसे साल भर .. खर्च करते करते ऊर्जा भंडार अब समाप्ति पर हो।

आज की रात्रि एक गहरी नींद लेकर..
फिर से ऊर्जा संजोना चाहता है सूर्य..
ताकि नव वर्ष में फिर से ऊर्जावान होकर
अपने ताप से रक्षक बन सके प्रकृति का ..हम सभी का।

भारी मन से रात्रि..
विदा दे…
बर्फ की चादर ओढ़ती जा रही है।

पहाड़ों की गोद में नदियांँ. .
बर्फ का लिहाफ ओढ़.. शांत हो..सो रही हैं।

मछलियों ने भी समाधि..
ले ली है बर्फ में ।

रात्रि ने मनन करने के लिए..
चांँद से एकांत उधार लिया है।

चांँद और बर्फ दोनों सिनेमा घर के चित्रपट से हो गए है..
बीते वर्ष के..
चलचित्र चल रहे हैं।

संवेदनाएं समुद्र की तरह.. किनारों पर थपेड़ों की तरह ..
आकर चौंका रही हैं।

अब विदा लो बीते वर्ष!
नववर्ष के स्वागत मैं..
पलक पांँवड़े बिछाने हैं..
और इस वर्ष..
रूठने नहीं देना है अपनों को..।

इंतजार है उस सूर्य का
जोअपनी ऊर्जा से
प्रकृति और हम सभी में ऊर्जा भर दे।

इंतजार है.
नववर्ष के उस सवेरे का
जो मुस्कराहट के साथ गुनगुनी, गुलाबी धूप लेकर आएगा..
और अपने तेज से
हम सभी को उत्साह से
लबरेज़ कर देगा।

तो आओ नववर्ष..!
हर्षोल्लास के साथ
स्वागत है..
स्वागत है।

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स्वागत बसंत
Gk Agni Gk Agni
Swagat basant
Mere Alfaz
तेरी दीवानगी,तेरा जलवा चहुं ओर प्रकाश सा फैला है
कर रही समर्पण है प्रकति,मदहोशी का अम्बर गहरा है

कौन दे रहा मौन निमंत्रण,ह्रदय में कैसे झंझावात उठे
अधरों तक फैल रही लालिमा,व्याकुल कंपन गात हुए

अब समझा वसंत का आगमन हुए,धरती पर मस्ती छाई है
स्वागत है,हे ऋतुराज आपका,सम्पूर्ण सृष्टि इतराई है

तेरा आना मंगल हो,जन जन के लिए शुभकारी हो
हम सब करते प्रणाम,आगमन आपका सबके लिए उपकारी हो

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शिवा संग साजै शिव संकर|
मुदित मधुर मधुमास मनोहर||
नयन नयन नव नेह निभाये|
देख- देख दिव, देव, दिशाये||
हरष हरष हिय- हिय हुलसाये|
जय जय जय जयकार जगाये||
पीत पटल पर प्रीत पसारे|
पुलक पयोनिधि पाँव पखारे||
आवहूँ आँगन अब अभिनन्दन|
आरति आहै असुरनिकन्दन||

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