|

Srimad Bhagavata Mahapurana ki Aarti

॥ आरती श्रीमद्भागवतमहापुराण की ॥ Srimad Bhagavata Mahapurana ki Aarti आरती अतिपावन पुरान की । धर्म-भक्ति-विज्ञान-खान की ॥ टेक ॥ महापुराण भागवत निर्मल । शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल ॥ परमानन्द सुधा-रसमय कल । लीला-रति-रस रसनिधान की ॥ आरती० कलिमथ-मथनि त्रिताप-निवारिणि । जन्म-मृत्यु भव-भयहारिणी ॥ सेवत सतत सकल सुखकारिणि । सुमहौषधि हरि-चरित गान की ॥ आरती० विषय-विलास-विमोह विनाशिनि…