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Anjaneya Chalisa
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Chintpurni Chalisa in Hindi – माँ चिंतपूर्णी चालीसा – Maa Chintpurni Chalisa
।।दौहा।।
चित्त में बसो चिंतपूर्णी, छिन्नमस्तिका मात ।
सात बहनों में लाड़ली,हो जग में विख्यात ।।
माईदास पर की कृपा, रूप दिखाया श्याम ।
सबकी हो वरदायनी, शक्ति तुम्हें प्रणाम ।।
॥चौपाई॥
छिन्नमस्तिका मात भवानी। कलिकाल में शुभ कल्याणी ।।
सती आपको अंश दियो है। चिंतपूर्णी नाम कियो है ॥
चरणों की लीला है न्यारी। जिनको पूजे हर नर नारी ॥
देवी-देवता हैं नत मस्तक। चैन ना पाए भजे ना जब तक ॥
शांत रूप सदा मुस्काता। जिसे देखकर आनंद आता ॥
एक ओर कालेश्वर साजे । दूजी ओर शिवबाडी विराजे ॥
तीसरी ओर नारायण देव। चौथी ओर मचकुंद महादेव ॥
लक्ष्मी नारायण संग विराजे। दस अवतार उन्हीं में साजे ।।
तीनों द्वार भवन के अंदर। बैठे ब्रह्मा विष्णु ,शंकर ॥
काली, लक्ष्मी, सरस्वती मां। सत, रज ,तम से व्याप्त हुई मां ॥
हनुमान योद्धा बलकारी। मार रहे भैरव किलकारी ॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावें। मृदंग छैने महंत बजावें ॥
भवन के नीचे बाबड़ी सुंदर। जिसमें जल बहता है झरझर ॥
संत आरती करें तुम्हारी। तुमने सदा पूजते हैं नर नारी।।
पास है जिसके बाग निराला। जहां है पुष्पों की वनमाला ॥
कंठ आपके माला विराजे। सुहा सुहा चोला अंग साजे ।।
सिंह यहां संध्या को आता। शुभ चरणों में शीश नवाता ॥
निकट आपके जो भी आवे। पिंडी रूप दर्शन पावे ॥
रणजीत सिंह महाराज बनाया। तुम्हें स्वर्ण का छत्र चढ़ाया ॥
भाव तुम्हीं से भक्ति पाया। पटियाला मंदिर बनवाया ।।
माईदास पर कृपा करके। आई भरवई पास विचर के ॥
अठूर क्षेत्र मुगलों ने घेरा। पिता माईदास ने टेरा ।।
अम्ब क्षेत्र के पास में आए। तीन पुत्र कृपा से पाये।।
वंश माई ने फिर पुजवाया। माईदास को भक्त बनाया।।
सौ घर उसके हैं अपनाए । सेवा में जो तुमरी आए ।
चार आरती हैं मंगलमय प्रातः मध्य संध्या रातम्य ॥
पान ध्वजा नारियल लाऊं। हलवे चने का भोग लगाऊं ॥
असौज चैत्र में मेला लगता। अष्टमी सावन में भी भरता ॥
छत्र व चुन्नी शीश चढ़ाऊं। माला लेकर तुमको ध्याऊं ॥
मुझको मात विपद ने घेरा। मोहमाया ने डाला फेरा ॥
ज्वालामुखी से तेज हो पातीं। नगरकोट से भी बल पातीं ॥
नयना देवी तुम्हें देखकर ।मुस्काती हैं प्रेम में भरकर ॥
अभिलाषा मां पूरण कर दो। हे चिंतापूर्णी झोली भर दो ॥
ममता वाली पलक दिखा दो। काम क्रोध मद लोभ हटा दो।
सुख दुःख तो जीवन में आते। तेरी दया से दुख मिट जाते ॥
तुमको कहते चिंता हरणी । भय नाशक तुम हो भय हरणी ॥
हर बाधा को आप ही टालो। इस बालक को गले लगा लो ॥
तुम्हरा आशीर्वाद मिले जब। सुख की कलियां आप खिलें सब।।
कहां तक दुर्गे महिमा गाऊं। द्वार खड़ा ही विनय सुनाऊं ॥
चिंतपूर्णी मां मुझे अपनाओ। भव से नैया पार लगाओ। ॥
॥ दोहा ॥
चरण आपके छू रहा हूं, चिंतपूर्णी मात।
चरणामृत दे दीजिए हो ,जग में विख्यात ।।
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Please do Ram Japa by chanting “Shri Ram Jay Ram Jay Jay Ram” Also recite “Hanuman Chalisa” regularly. Do dhyana by “Nasagra Mudra (Nose Tip Position)” so you will get peace of mind.