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Kajari Teej 2021: कब है कजरी तीज, कैसे करें पूजा, क्या है महत्व और मुहूर्त, कौन से शुभ संयोग बन रहे हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन के 3 दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से 5 दिन पहले जो तीज आती है उसे सातुड़ी तीज, कजली तीज, कजरी तीज के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2021 में 25 अगस्त 2021, बुधवार को कजरी/ कजली तीज पर्व मनाया जाएगा। यह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।…
Nirop Gheto Deva Aata PDF
जाहले भजन आम्ही नमितो तव चरण ।वारुनिया विघ्ने देवा रक्षावे दीना ॥धृ॥ दास तुझे आम्ही देवा तुजलाची ध्यातोप्रेमे करुनिया देवा गुण तुझेची गातो ॥१॥ तरी द्यावी सिद्धी देवा हेची वासना, देवा हेची वासनारक्षुनियां सर्वां द्यावी आम्हासी आज्ञा ॥२॥ मागणे ते देवा एकची आहे आता एकची आहेतारुनियां सकळां आम्हां कृपादृष्टी पाहे ॥३॥ जेव्हां सर्व आम्ही मिळूं…
पांच दिन के बजाय इस बार चार दिन दिवाली उत्सव
आरंभ होगी और 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। दिवाली पर अमावस्या तिथि पर ही लक्ष्मी पूजन किया जाता है। विस्तार इस वर्ष दिवाली महापर्व 5 दिन के बजाय 4 दिन का रहेगा। 14 नवंबर को दिवाली है उसके एक दिन पहले 13 नवंबर को धनतेरस मनाया जाएगा। इस बार छोटी…
Kalashtami 2021: कल है कालाष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Kalashtami 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। वैशाख माह में आने वाली कालाष्टमी इस बार 3 मई 2021 दिन सोमवार को पड़ रही है। इस दिन शिव शंकर के रूद्रस्वरूप भगवान कालभैरव की पूजा की जाती है। इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा…
भगवान श्री राम की पिछली वंशावली क्या है ?
इस उत्तर को ध्यान से पढ़ें क्योंकि आज इनटरनेट पर श्रीराम के वंश के विषय मे जितने लेख उपलब्ध हैं उनमें से 99% गलत हैं। उन लेखों में पुरूरवा, नहुष और ययाति को श्रीराम का पूर्वज बताया गया है जो कि बिल्कुल गलत है। पुरूरवा, नहुष, ययाति इत्यादि चंद्रवंशी थे जबकि श्रीराम सूर्यवंशी। और ये गलती बहुत…
चरण स्पर्श क्यों ? Why touch feet?
चरण स्पर्श क्यों ? तैत्तिरीयब्राह्मणे(३-१२-३-४) एवं श्रूयते – चर॑णं प॒वित्रं॒ वित॑तं पुरा॒णम् । येन॑ पू॒तस्तर॑ति दुष्कृ॒तानि॑ । तेन॑ प॒वित्रेण॑ शु॒द्धेन॑ पू॒ताः । अति॑ पा॒प्मान॒मरा॑तिं तरेम । चरत्यनेनेति पादेन्द्रियं चरणम् । शास्त्रीयाचरणं वा तेन उच्यते (धर्मो वा) । तच्च पवित्रं शुद्धिकारणम् । वित॑तं सर्वप्राणिविषयत्वेन विस्तीर्णम् । पुराणं सृष्ट्यादिमारभ्य प्रवृत्तत्वात् चिरन्तनम् । येन चरणेन देवेन पूतः शोधितः…