Kinnar Kailash – Mahadev Dham

यह हैं किन्नर कैलाश, कहते है महादेव के इस धाम में जाने की इंसान एक बार ही कर पाता है हिम्मत – तिब्बत स्थित मानसरोवर कैलाश के बाद किन्नर कैलाश को ही दूसरा बडा कैलाश पर्वत माना जाता है। सावन का महीना शुरू होते ही हिमाचल की खतरनाक कही जाने वाली किन्नर कैलाश यात्रा शुरू…

Shri Ramashtakam

RAMACHANDRASHTAKAM OM chidAkAro dhAtA paramasukhadaH pAvanatanur\- munIndrairyogIndrairyatipatisurendrairhanumatA | sadA sevyaH pUrNo janakatanayA~NgaH suragurU ramAnAtho rAmo ramatu mama chitte tu satatam || 1|| mukundo govindo janakatanayAlAlitapadaH padaM prAptA yasyAdhamakulabhavA chApi shabarI | girAtIto.agamyo vimaladhiShaNairvedavachasA ramAnAtho rAmo ramatu mama chitte tu satatam || 2|| dharAdhIsho.adhIshaH suranaravarANAM raghupatiH kirITI keyUrI kanakakapishaH shobhitavapuH | samAsInaH pIThe ravishatanibhe shAntamanaso ramAnAtho…

Shri Ram Premashtakam

  श्रीरामप्रेमाष्टकम् (यामुनाचार्यकृतम्) श्यामाम्बुदाभमरविन्दविशालनेत्रं बन्धूकपुष्पसदृशाधरपाणिपादम्। सीतासहायमुदितं धृतचापबाणं रामं नमामि शिरसा रमणीयवेषम्॥ १ ॥ पटुजलधरधीरध्वानमादाय चापं पवनदमनमेकं बाणमाकृष्य तूणात्। अभयवचनदायी सानुजः सर्वतो मे रणहतदनुजेन्द्रो रामचन्द्रः सहायः ॥ २ ॥ दशरथकुलदीपोऽमेयबाहुप्रतापो दशवदनसकोपः क्षालिताशेषपापः। कृतसुररिपुतापो नन्दितानेकभूपो विगततिमिरपङ्को रामचन्द्रः सहायः ॥ ३ ॥ कुवलयदलनीलः कामितार्थप्रदो मे कृतमुनिजनरक्षो रक्षसामेकहन्ता। अपहृतदुरितोऽसौ नाममात्रेण पुंसा- मखिलसुरनृपेन्द्रो रामचन्द्रः सहायः ॥ ४ ॥ असुरकुलकृशानुर्मानसाम्भोजभानुः सुरनरनिकराणामग्रणीर्मे…

Shri Ram Chandra Stuti

  अरण्यकाण्ड अत्रि मुनि द्वारा स्तुति नमामि भक्त वत्सलम् । कृपालु शील कोमलम् ॥ भजामि ते पदांबुजम् । अकामिनाम् स्वधामदम् ॥ निकाम् श्याम् सुंदरम् । भवाम्बुनाथ मंदरम् ॥ प्रफुल्ल कंज लोचनम् । मदादि दोष मोचनम् ॥ प्रलंब बाहु विक्रमम् । प्रभोऽप्रमेय वैभवम् ॥ निषंग चाप सायकम् । धरम् त्रिलोक नायकम् ॥ दिनेश वंश मंदनम् ।…

Shri Sitaram Ashtakam – ॥ श्रीसीतारामाष्टकम् ॥

ॐ ॥ श्री सीतारामाष्टकम् ॥ ॐ ब्रह्ममहेन्द्रसुरेन्द्रमरुद्गणरुद्रमुनीन्द्रगणैरतिरम्यं क्षीरसरित्पतितीरमुपेत्य नुतं हि सतामवितारमुदारम् । भूमिभरप्रशमार्थमथ प्रथितप्रकटीकृतचिद्घनमूर्तिं त्वां भजतो रघुनन्दन देहि दयाघन मे स्वपदाम्बुजदास्यम् ॥ १ ॥ पद्मदलायतलोचन हे रघुवंशविभूषण देव दयालो निर्मलनीरदनीलतनोऽखिललोकहृदम्बुजभासक भानो । कोमलगात्र पवित्रपदाब्जरजःकणपावितगौतमकान्त त्वां भजतो रघुनन्दन देहि दयाघन मे स्वपदाम्बुजदास्यम् ॥ २ ॥ पूर्ण परात्पर पालय मामतिदीनमनाथमनन्तसुखाब्धे प्रावृडदभ्रतडित्सुमनोहरपीतवराम्बर राम नमस्ते । कामविभञ्जन कान्ततरानन काञ्चनभूषण…