Hindi Nibandh For Class 10 – मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध

मेरी प्रथम रेल यात्रा: नई दुनिया की खोज

यात्रा, जीवन का एक ऐसा अनुभव है, जो हमें नए स्थानों, संस्कृतियों और लोगों से परिचित कराता है। यह हमें नई दुनिया की खोज करने का अवसर प्रदान करता है और हमें अपने आप को खोजने में मदद करता है। मेरी प्रथम रेल यात्रा भी एक ऐसा ही अविस्मरणीय अनुभव था, जिसने मुझे नई दुनिया की रंगीनियों से परिचित कराया।

मुझे बचपन से ही रेल यात्रा करने का बहुत शौक था। ट्रेन के बारे में सुनकर ही मेरा मन उत्साह से भर उठता था। मैं अक्सर अपने पिता से रेल यात्रा की कहानियाँ सुनता था और सोचता था कि मैं कब रेल पर सवार होकर नई दुनिया की खोज करूँगा।

फिर एक दिन मेरा सपना पूरा हुआ। मेरे पिताजी ने मुझे दिल्ली से मुंबई जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन में टिकट बुक करा दिया। मैं उस दिन बहुत खुश था। मैं रेल यात्रा के लिए उत्सुक था।

दिन निकलने से पहले ही मैं अपने पिताजी के साथ रेलवे स्टेशन पहुँच गया था। स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। लोग टिकट लेने, चाय पीने और अपने सामान को लेकर इधर-उधर भाग रहे थे। मैं स्टेशन के इस माहौल को देखकर बहुत रोमांचित था।

जब ट्रेन आने का समय हुआ तो मैं प्लेटफार्म पर जाकर खड़ा हो गया। ट्रेन आते ही मैंने देखा कि यह एक बहुत बड़ी और सुंदर ट्रेन है। ट्रेन में चढ़ते ही मुझे लगा जैसे मैं किसी दूसरे ही संसार में आ गया हूँ।

ट्रेन के अंदर बहुत साफ-सफाई थी। डिब्बों में लगी रंग-बिरंगी सीटें और बड़े-बड़े शीशे मुझे बहुत अच्छे लगे। ट्रेन में यात्रा करने वाले लोग भी बहुत तरह के थे। कुछ लोग बातें कर रहे थे, कुछ लोग किताबें पढ़ रहे थे और कुछ लोग सो रहे थे।

ट्रेन चल पड़ी और मैं खिड़की के पास जाकर बैठ गया। बाहर का नजारा बहुत सुंदर था। हरे-भरे खेत, ऊँचे-ऊँचे पेड़, बहती हुई नदियाँ और छोटे-छोटे गाँव एक-एक करके मेरी आँखों के सामने से गुजर रहे थे। मैं इस सुंदर दृश्य को देखकर बहुत खुश था।

ट्रेन के डिब्बे में कई तरह की सुविधाएँ थीं। टॉयलेट, वाटर कूलर और वेंडिंग मशीन से लेकर मनोरंजन के लिए टीवी और म्यूजिक सिस्टम तक सब कुछ था। मैं इन सुविधाओं का आनंद लेते हुए अपनी रेल यात्रा को और भी सुखद बना रहा था।

रास्ते में ट्रेन कई स्टेशनों पर रुकी। कुछ स्टेशनों पर बहुत भीड़ थी और कुछ स्टेशनों पर बहुत कम लोग थे। मैं स्टेशन पर उतरकर चाय पीता और स्टेशन के आसपास घूमता था। मुझे अलग-अलग स्टेशनों का माहौल देखना बहुत अच्छा लग रहा था।

दिन भर की यात्रा के बाद शाम को ट्रेन मुंबई पहुँच गई। मैं अपनी पहली रेल यात्रा पूरी करके बहुत खुश था। मैंने उस दिन बहुत कुछ सीखा और बहुत कुछ देखा। मुझे रेल यात्रा का अनुभव बहुत अच्छा लगा और मैं अब और भी कई रेल यात्राएँ करना चाहता हूँ।

जय हिंद!

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