Shree Hanuman ji ki Chalisa – Hindi, Tamil, Kannada, English, Bengali, Malayalam, Oriya, Telugu
Shree Hanuman Chalisa – श्री हनुमान जी की चालीसा –
Shri Hanuman Chalisa Hindi
Shri Hanuman is a symbol of strength. Shri Hanuman Chalisa’s mystical power is known to remove all problems and sorrows in life by the mere chanting of it. However few people know that these simple devotional verses contain all the secrets of success.
हनुमान चालीसा के ये छोटे चमत्कारी उपाय
आप भी कर सकते हैं हनुमान चालीसा के ये छोटे उपाय
हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए किसी भी मंगलवार या शनिवार के दिन या किसी भी विशेष शुभ मुहूर्त में या किसी भी विपत्ति के समय यहां बताया जा रहा उपाय किया जा सकता है. ब्रह्म मुहूर्त में उठें और प्रात: काल के सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जाएं, स्नान आदि के बाद पवित्र हो जाएं. इसके बाद किसी भी हनुमान मंदिर में जाएं और हनुमानजी के समक्ष धूप-अगरबत्ती, दीपक जलाएं, पुष्प-हार, प्रसाद आदि अर्पित करें. इसके बाद आसन बिछाकर बैठ जाएं और हनुमान चालीसा के 108 पाठ करें.
ध्यान रहें हनुमान चालीसा के 108 पाठ लगातार, बिना रुके किए जाने चाहिए. इस साधना में समय अधिक लगता है. अत: इस बात का विशेष ध्यान रखें. यह पूजा शांति पूर्ण ढंग से की जानी चाहिए. किसी भी प्रकार की जल्दबाजी न करें. हनुमान चालीसा के पाठ की संख्या ध्यान रखने के लिए रुद्राक्ष की माला का उपायोग किया जा सकता है. आप यह पूजा घर पर भी कर सकते हैं. किसी एकांत स्थान पर यह पूजा की जानी चाहिए. इसके लिए साफ-स्वच्छ स्थान का चयन करें.
जो भी भक्त ऐसा नियमित रूप से करता है वह सभी प्रकार के कष्टों और दुखों से मुक्त हो जाता है. हनुमानजी की कृपा प्राप्ति के बाद व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भी कोई भय नहीं रहता है. जीवन में कभी भी किसी भी बुरी नजर का प्रभाव आप पर नहीं पड़ेगा. घर-परिवार में भी सभी परेशानियों से निजात मिलेगी.
हनुमानजी को मनाने और उनकी कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और चमत्कारी उपाय है हनुमान चालीसा का पाठ. हनुमान चालीसा बहुत ही सरल और मन को शांति प्रदान करने वाली है. जो लोग धन अभाव से ग्रस्त हैं या घर-परिवार में परेशानियां चल रही हैं या ऑफिस में बॉस और सहयोगियों से रिश्ते बिगड़े हुए हैं या समाज में सम्मान नहीं मिल रहा है या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हैं तो इन्हें दूर करने के लिए हनुमान चालीसा का ये उपाय श्रेष्ठ मार्ग है. जो लोग मस्तिष्क से संबंधित कार्य में लगे रहते हैं और मानसिक तनाव का सामना करते हैं या जिनका दिमाग अन्य लोगों की अपेक्षा तेज नहीं चलता है तो रोज रात को सोने से पहले हनुमान चालीसा का जप करें.
यदि आप पूरी हनुमान चालीसा का जप नहीं कर सकते हैं तो इन पंक्तियों का जप करें… बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो पवन कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरेहू कलेश विकार। इस पंक्ति में हनुमान से यही प्रार्थना की गई है कि हे प्रभु मैं खुद को बुद्धि हीन मानकर आपका ध्यान करता हूं. कृपा करें और मुझे शक्ति, बुद्धि, विद्या दीजिए. मेरे सभी कष्ट-क्लेश दूर कीजिए.
यदि कोई व्यक्ति भयंकर बीमारी से ग्रस्त है तो उसे सोने से पहले इस पंक्ति का जप करना चाहिए… नासे रोग हरे सब पीरा। जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा।। इस पंक्ति से हम बजरंग बली से सभी प्रकार रोगों और पीड़ाओं से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. जो भी बीमार व्यक्ति इन पंक्तियों का जप करके सोता है उसकी बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है.
यदि कोई व्यक्ति सर्वगुण संपन्न बनना चाहता है और घर-परिवार, समाज में वर्चस्व बनाना चाहता है, सम्मान पाना चाहता है उसे सोने से पहले इस पंक्ति का जप करना चाहिए… अष्ट-सिद्धि नवनिधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।। इस पंक्ति के अनुसार हनुमान अष्ट सिद्धियां और नौ निधियों के दाता है. जो कि उन्हें माता सीता ने प्रदान की है. जिन लोगों के पास ये सिद्धियां और निधियां आ जाती हैं वे समाज में और घर-परिवार में मान-सम्मान, प्रसिद्धि पाते हैं.
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श्री हनुमान जी की चालीसा
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A powerful Hanuman Chalisa for great benefits
The Hanuman Chalisa has benefited millions across generations through its mantra-shakti and ability to incite the deepest devotion in the most intensely troubled sadhak.
But do not think it to be limited to merely improving your state of mind! It is indeed an intensely powerful stotra (hymn) which can endow the saadhak (spiritual aspirant) with real power – physical, metaphysical and spiritual; and both for daily life and also for esoteric purposes.
A quick recap of the basics….
We have already covered the basic benefits of the Chalisa – building character and Ram Bhakti.
…then onto the master class!
The Hanuman Chalisa is a hymn of 40 verses adoring Hanuman and his great achievements in the context of the epic Ramayana. Each verse is also known as a chaupai (4 legged) and consists of a rhyming couplet.
It is the essence of the Sundara Kand of the Ramayana. In fact this is one of the very reasons for its unbelievable power to help any devotee – the Sundara Kand is prescribed to anyone with a strong will to make something happen which is beyond their control – one prominent example is hastening marriage.
There are of course a much broader set of benefits to reading or listening to the Chalisa daily – here is a full list:
- Removes bad karma of unknowingly insulting or harming a Guru or fellow devotee
- Wisdom and strength
- Divine knowledge
- Remove bad habits and company
- Cultivates bhakti
- Protection from snakes and bites
- Fame
- Restores and improves career/social status
- Protection from malefic effect of planets
- Accomplish difficult tasks, break obstacles
- Rescue from crisis
- Fulfilment of desires
- Protection from Black Magic and spirits
- Health
- Ability to bear physical pain
- Victory over enemies
- Siddhis (occult powers)
- Wealth
- Mental peace
- Ethical judgement
- The Grace of Hanuman
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This series will highlight which specific verses provide each of the benefits. within the Chalisa can be recited on their own as ‘mini-mantras’ to gain specific benefits.
Sadhaks have long discovered that there are specific benefits to chanting certain verses.
The benefits were outlined in the prior post. This part looks at the verses behind the first seven benefits, as below.
The first seven verses and benefits
- Removal of bad karma accrued against Guru or fellow devotees: First opening verse (Shree Guru Charana…)
- Wisdom and strength: Second opening verse (Buddhi Heena Tanu…)
- Divine knowledge (Brahmavidya): Verse 1 (Jaya Hanumaana gyaana…)
- Remove bad habits and company: Verse 3 (Mahaaveera Vikrama…)
- Cultivates bhakti: Verses 7 and 8 (Vidyaavaana gunee… and Prabhu charitra…)
- Protection from snakes and bites: Verse 11 (Laaye Sanjeevana…)
- Fame: Verses 13-15 (Sahasa badana…, Sanakaadika Brahmaadi…, Yama Kuber …)
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Sankantmochan Hanuman Ashtak
Bajarang Ban
Aarti BajrangBali Hanuman ji ki
- Reciting the opening verses of the Shree Hanuman Chalisa at night at least 11 times helps to remove the sins you may have committed by insulting someone knowingly or unknowingly.
- Reciting Shree Hanuman Chalisa at night helps to ward off evil forces from your life. It is especially preferred that children recite Hanuman Chalisa at night if they have fear of ghosts because the verses have the power to ward off the negative energies surrounding human beings.
- If one recites Shree Hanuman Chalisa at night, he/she is able to get the divine protection of Lord Hanuman and all his/her obstacles are removed.
- Those who have some major task to achieve, they should recite the verses 1008 times on an auspicious night of Tuesday, Thursday, Saturday or a moola nakshatra day.
- Absolute faith and correct attitude will get you the blessings of the monkey-God and with the recital of Shree Hanuman Chalisa at night, you can achieve whatever you desire for.
॥दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥
॥चौपाई॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरङ्गी ।
कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥
कञ्चन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥
सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥
लाय सञ्जीवन लखन जियाये ।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥
रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥
सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥
तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।
लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥
जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।
तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥
आपन तेज सह्मारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥
सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
चारों जुग परताप तुह्मारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥
राम रसायन तुह्मरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
तुह्मरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥
॥दोहा॥
पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥
chanting
बचपन से ही हमें सिखाया गया है कि अगर कभी भी मन अशांत लगे या फिर किसी चीज से डर लगे तो, हनुमान चालीसा पढ़ो। ऐसा करने से मन शांत होता है और डर भी नहीं लगता। हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का बड़ा ही महत्व है। हनुमान चालीसा पढ़ने से शनि ग्रह और साढे़ साती का प्रभाव कम होता है। हनुमान जी राम जी के परम भक्त हुए हैं। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर हनुमान जी जैसी सेवा-भक्ति विद्यमान है। हनुमान-चालीसा एक ऐसी कृति है, जो हनुमान जी के माध्यम से व्यक्ति को उसके अंदर विद्यमान गुणों का बोध कराती है। इसके पाठ और मनन करने से बल बुद्धि जागृत होती है। हनुमान-चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति खुद अपनी शक्ति, भक्ति और कर्तव्यों का आंकलन कर सकता है।
ஶ்ரீ குரு சரண ஸரோஜ ரஜ னிஜமன முகுர ஸுதாரி |
வரணௌ ரகுவர விமலயஶ ஜோ தாயக பலசாரி ||
புத்திஹீன தனுஜானிகை ஸுமிரௌ பவன குமார |
பல புத்தி வித்யா தேஹு மோஹி ஹரஹு கலேஶ விகார் ||த்யானம்
கோஷ்பதீக்றுத வாராஶிம் மஶகீக்றுத ராக்ஷஸம் |
ராமாயண மஹாமாலா ரத்னம் வம்தே அனிலாத்மஜம் ||
யத்ர யத்ர ரகுனாத கீர்தனம் தத்ர தத்ர க்றுதமஸ்தகாம்ஜலிம் |
பாஷ்பவாரி பரிபூர்ண லோசனம் மாருதிம் னமத ராக்ஷஸாம்தகம் ||சௌபாஈ
ஜய ஹனுமான ஜ்ஞான குண ஸாகர |
ஜய கபீஶ திஹு லோக உஜாகர || 1 ||ராமதூத அதுலித பலதாமா |
அம்ஜனி புத்ர பவனஸுத னாமா || 2 ||மஹாவீர விக்ரம பஜரங்கீ |
குமதி னிவார ஸுமதி கே ஸங்கீ ||3 ||கம்சன வரண விராஜ ஸுவேஶா |
கானன கும்டல கும்சித கேஶா || 4 ||ஹாதவஜ்ர ஔ த்வஜா விராஜை |
காம்தே மூம்ஜ ஜனேவூ ஸாஜை || 5||ஶம்கர ஸுவன கேஸரீ னன்தன |
தேஜ ப்ரதாப மஹாஜக வன்தன || 6 ||வித்யாவான குணீ அதி சாதுர |
ராம காஜ கரிவே கோ ஆதுர || 7 ||ப்ரபு சரித்ர ஸுனிவே கோ ரஸியா |
ராமலகன ஸீதா மன பஸியா || 8||ஸூக்ஷ்ம ரூபதரி ஸியஹி திகாவா |
விகட ரூபதரி லம்க ஜராவா || 9 ||பீம ரூபதரி அஸுர ஸம்ஹாரே |
ராமசம்த்ர கே காஜ ஸம்வாரே || 10 ||லாய ஸம்ஜீவன லகன ஜியாயே |
ஶ்ரீ ரகுவீர ஹரஷி உரலாயே || 11 ||ரகுபதி கீன்ஹீ பஹுத படாயீ |
தும மம ப்ரிய பரதஹி ஸம பாயீ || 12 ||ஸஹஸ வதன தும்ஹரோ யஶகாவை |
அஸ கஹி ஶ்ரீபதி கண்ட லகாவை || 13 ||
ஸனகாதிக ப்ரஹ்மாதி முனீஶா |
னாரத ஶாரத ஸஹித அஹீஶா || 14 ||
யம குபேர திகபால ஜஹாம் தே |
கவி கோவித கஹி ஸகே கஹாம் தே || 15 ||
தும உபகார ஸுக்ரீவஹி கீன்ஹா |
ராம மிலாய ராஜபத தீன்ஹா || 16 ||
தும்ஹரோ மன்த்ர விபீஷண மானா |
லம்கேஶ்வர பயே ஸப ஜக ஜானா || 17 ||
யுக ஸஹஸ்ர யோஜன பர பானூ |
லீல்யோ தாஹி மதுர பல ஜானூ || 18 ||
ப்ரபு முத்ரிகா மேலி முக மாஹீ |
ஜலதி லாம்கி கயே அசரஜ னாஹீ || 19 ||
துர்கம காஜ ஜகத கே ஜேதே |
ஸுகம அனுக்ரஹ தும்ஹரே தேதே || 20 ||
ராம துஆரே தும ரகவாரே |
ஹோத ன ஆஜ்ஞா பினு பைஸாரே || 21 ||
ஸப ஸுக லஹை தும்ஹாரீ ஶரணா |
தும ரக்ஷக காஹூ கோ டர னா || 22 ||
ஆபன தேஜ தும்ஹாரோ ஆபை |
தீனோம் லோக ஹாம்க தே காம்பை || 23 ||
பூத பிஶாச னிகட னஹி ஆவை |
மஹவீர ஜப னாம ஸுனாவை || 24 ||
னாஸை ரோக ஹரை ஸப பீரா |
ஜபத னிரம்தர ஹனுமத வீரா || 25 ||
ஸம்கட ஸேம் ஹனுமான சுடாவை |
மன க்ரம வசன த்யான ஜோ லாவை || 26 ||
ஸப பர ராம தபஸ்வீ ராஜா |
தினகே காஜ ஸகல தும ஸாஜா || 27 ||
ஔர மனோரத ஜோ கோயி லாவை |
தாஸு அமித ஜீவன பல பாவை || 28 ||
சாரோ யுக பரிதாப தும்ஹாரா |
ஹை பரஸித்த ஜகத உஜியாரா || 29 ||
ஸாது ஸன்த கே தும ரகவாரே |
அஸுர னிகன்தன ராம துலாரே || 30 ||
அஷ்டஸித்தி னவ னிதி கே தாதா |
அஸ வர தீன்ஹ ஜானகீ மாதா || 31 ||
ராம ரஸாயன தும்ஹாரே பாஸா |
ஸாத ரஹோ ரகுபதி கே தாஸா || 32 ||
தும்ஹரே பஜன ராமகோ பாவை |
ஜன்ம ஜன்ம கே துக பிஸராவை || 33 ||
அம்த கால ரகுவர புரஜாயீ |
ஜஹாம் ஜன்ம ஹரிபக்த கஹாயீ || 34 ||
ஔர தேவதா சித்த ன தரயீ |
ஹனுமத ஸேயி ஸர்வ ஸுக கரயீ || 35 ||
ஸம்கட கடை மிடை ஸப பீரா |
ஜோ ஸுமிரை ஹனுமத பல வீரா || 36 ||
ஜை ஜை ஜை ஹனுமான கோஸாயீ |
க்றுபா கரோ குருதேவ கீ னாயீ || 37 ||
ஜோ ஶத வார பாட கர கோயீ |
சூடஹி பன்தி மஹா ஸுக ஹோயீ || 38 ||
ஜோ யஹ படை ஹனுமான சாலீஸா |
ஹோய ஸித்தி ஸாகீ கௌரீஶா || 39 ||
துலஸீதாஸ ஸதா ஹரி சேரா |
கீஜை னாத ஹ்றுதய மஹ டேரா || 40 ||
தோஹா
பவன தனய ஸங்கட ஹரண – மங்கள மூரதி ரூப் |
ராம லகன ஸீதா ஸஹித – ஹ்றுதய பஸஹு ஸுரபூப் ||
ஸியாவர ராமசன்த்ரகீ ஜய | பவனஸுத ஹனுமானகீ ஜய | போலோ பாயீ ஸப ஸன்தனகீ ஜய |
‘ ಬರನೋ ರಘುವರ ಬಿಮಲ ಜಸು ಜೋ ದಾಯಕ ಫಲ ಚಾರಿ ‘
ಬುಧೀಹೀನ ತನು ಜಾನ್ನಿಕೆ ಸುಮಿರೋ ಪವನಕುಮಾರ
‘ ಬಲ ಬುದ್ಧೀ ವಿದ್ಯಾ ದೇಹೂ ಮೊಹೀ ಹರಹು ಕಲೇಶ್ ವಿಕಾರ ‘ಚೌಪಾಯಿಜೈ ಹನುಮಾನ ಗ್ಯಾನ ಗುಣ ಸಾಗರ ‘ ಜೈ ಕಪೀಸ ತಿಹುಂ ಲೋಕ ಉಜಾಗರ ‘ರಾಮ ದೂತ ಅತುಲಿತ ಬಲ ಧಾಮ ‘ ಅಂಜನಿ ಪುತ್ರ ಪವನ ಸುತ ನಾಮ’ಮಹಾಬೀರ ವಿಕ್ರಮ ಬಜರಂಗೀ ‘ ಕುಮತಿ ನಿವಾರ ಸುಮತಿ ಕೆ ಸಂಗೀ ‘ಕಾಂಚನ ವರನ ವಿರಾಜ ಸುಬೇಸಾ ‘ ಕಾನನ ಕುಂಡಲ ಕುಂಚಿತ ಕೇಶ ‘ಹಾಥ ವಜ್ರ ಔರ ಧ್ವಜ ವಿರಾಜೆ ‘ ಕಾಂಧೆ ಮೂಂಜ ಜನೆಊ ಸಾಜೆ ‘ಶಂಕರ ಸುವನ ಕೇಸರಿ ನಂದನ ‘ ತೇಜ ಪ್ರತಾಪ ಮಹಾ ಜಗ ವಂದನ’ವಿದ್ಯವಾನ ಗುಣೀ ಅತಿ ಚತುರ ‘ ರಾಮ ಕಾಜ ಕರೀಬೆ ಕೋ ಆತುರ’ಪ್ರಭು ಚರಿತ್ರ ಸುನಿಬೆ ಕೋ ರಸಿಯಾ ‘ ರಾಮ ಲಖನ ಸೀತಾ ಮನ ಬಸಿಯಾ ‘ಸೂಕ್ಷ್ಮ ರೂಪ ಧರಿ ಸಿಯಹಿ ದಿಖಾವಾ ‘ ವಿಕಟ ರೂಪ ಧರಿ ಲಂಕ ಜಲವಾ’ಭೀಮ ರೂಪ ಧರಿ ಅಸುರ ಸಂಹಾರೆ ‘ ರಾಮಚಂದ್ರ ಕೆ ಕಾಜ ಸಂವಾರೆ ‘ಲಾಯೇ ಸಂಜಿವನ ಲಖನ ಜಿಯಾಯೇ’ ಶ್ರೀ ರಘುವೀರ ಹರಷಿ ಉರ ಲಾಯೇ ‘ರಘುಪತಿ ಕಿನ್ಹಿ ಬಹುತ ಬಡಾಯೀ ‘ ತುಮ ಮಮ ಪ್ರಿಯ ಭರತ-ಹಿ-ಸಮ ಭಾಯಿ ‘
ಸಹಸ ಬದನ ತುಮ್ಹರೋ ಯಶ ಗಾವೆ ‘ ಅಸ ಕಹಿ ಶ್ರೀಪತಿ ಕಂಠ ಲಗಾವೆ ‘
ಸನಕಾದಿಕ ಬ್ರಹ್ಮಾದಿ ಮುನೀಸಾ ‘ ನಾರಾದ ಸಾರದ ಸಹಿತ ಅಹೀಸಾ ‘
ಯಮ ಕುಬೇರ ದಿಕ್ಪಾಲ ಜಹಾನ ತೇ’ ಕವಿ ಕೋವಿದ ಕಹಿ ಸಕೆ ಕಹಾನ ತೇ ‘
ತುಮ ಉಪಕಾರ ಸುಗ್ರೀವಹಿನ ಕೀನ್ಹ ‘ ರಾಮ ಮಿಲಾಯೇ ರಾಜಪದ ದೀನ್ಹ ‘
ತುಮ್ಹ್ರರೋ ಮಂತ್ರ ವಿಭೀಷಣ ಮಾನ ‘ ಲಂಕೇಶ್ವರ ಭಯ ಸಬ ಜಗ ಜಾನ ‘
ಯುಗ ಸಹಸ ಜೋಜನ ಪರ ಭಾನೂ ‘ ಲೀಲ್ಯೋತಾಹಿ ಮಧುರ ಫಲ ಜಾನೂ ‘
ಪ್ರಭು ಮುದ್ರಿಕಾ ಮೇಲಿ ಮುಖ ಮಾಹೀ ‘ ಜಲಧಿ ಲಾಂಘಿ ಗಯೇ ಅಚರಜ ನಾಹೀ ‘
ದುರ್ಗಮ ಕಾಜ ಜಗತ ಕೆ ಜೇತೇ ‘ ಸುಗಮ ಅನುಗ್ರಹ ತುಮಹರೇ ತೇತೇ ‘
ರಾಮ ದುವಾರೆ ತುಮ ರಖವಾರೇ ‘ ಹೋತ ನ ಆಗ್ಯ ಬಿನು ಪೈಸಾರೇ ‘
ಸಬ ಸುಖ ಲಹೈ ತುಮ್ಹಾರೀ ಸರನಾ ‘ ತುಮ ರಕ್ಷಕ ಕಾಹೂ ಕೋ ಡರನಾ ‘
ಆಪನ ತೇಜ ಸಂಹಾರೋ ಆಪೈ ‘ ತೀನೋ ಲೋಕ ಹಾಂಕ ತೇ ಕಾಂಪೈ ‘
ಭೂತ ಪಿಸಾಚ ನಿಕಟ ನಹಿನ ಆವೈ ‘ ಮಹಾವೀರ ಜಬ ನಾಮ ಸುನಾವೈ ‘
ನಾಸೆ ರೋಗ ಹರೆ ಸಬ ಪೀರಾ ‘ ಜಪತ ನಿರಂತರ ಹನುಮತ ಬೀರಾ ‘
ಸಂಕಟ ಸೆ ಹನುಮಾನ ಛುಡಾವೈ ‘ ಮನ ಕ್ರಮ ವಚನ ಧ್ಯಾನ ಜೋ ಲಾವೈ’
ಸಬ ಪರ ರಾಮ ತಪಸ್ವೀ ರಾಜಾ ‘ ತಿನ ಕೇ ಕಾಜ ಸಕಲ ತುಮ ಸಾಜಾ ‘
ಔರ ಮನೋರಥ ಜೋ ಕೋಇ ಲಾವೈ ‘ ಸೋಇ ಅಮಿತ ಜೀವನ ಫಲ ಪಾವೈ’
ಚಾರೋನ ಜುಗ ಪರತಾಪ ತುಮ್ಹಾರಾ ‘ ಹೈ ಪರಸಿದ್ಧ ಜಗತ ಉಜಿಯಾರಾ ‘
ಸಾಧು ಸಂತ ಕೇ ತುಮ ರಖವಾರೇ ‘ ಅಸುರ ನಿಕಂದನ ರಾಮ ದುಲಾರೇ ‘
ಅಷ್ಟ ಸಿದ್ಧಿ ನವ ನಿಧಿ ಕೇ ದಾತಾ ‘ ಅಸ ವರ ದೀನ ಜಾನಕೀ ಮಾತಾ ‘
ರಾಮ ರಸಾಯನ ತುಮ್ಹಾರೇ ಪಾಸಾ’ ಸದಾ ರಹೋ ರಘುಪತಿ ಕೇ ದಾಸಾ ‘
ತುಮ್ಹಾರೆ ಭಜನ ರಾಮ ಕೋ ಪಾವೈ ‘ ಜನಮ ಜನಮ ಕೇ ದುಃಖ ಬಿಸರಾವೈ ‘
ಅಂತಕಾಲ ರಘುವರ ಪುರ ಜಾಯೀ ‘ ಜಹಾನ ಜನಮ ಹರಿ ಭಕ್ತ ಕಹಾಯೀ ‘
ಔರ ದೇವತಾ ಚಿತ್ತ ನ ಧರಹಿನ ‘ ಹನುಮತ ಸೇಇ ಸರ್ವ ಸುಖ ಕರಹಿನ ‘
ಸಂಕಟ ಕಟೆ ಮಿಟೆ ಸಬ ಪೀರಾ ‘ ಜೋ ಸುಮಿರೈ ಹನುಮತ ಬಲಬೀರಾ ‘
ಜಯ ಜಯ ಜಯ ಹನುಮಾನ ಗೋಸಾಯಿ ‘ ಕೃಪಾ ಕರಹು ಗುರುದೇವ ಕಿ ನಾಯಿ’
ಜೋ ಸತ ಬಾರ ಪಾಠ ಕರ ಕೋಇ ‘ ಛೂಟಹಿ ಬಂದಿ ಮಹಾ ಸುಖ ಹೋಇ ‘
ಜೋ ಯಹ ಪಡೇ ಹನುಮಾನ ಚಾಲೀಸಾ ‘ ಹೋಯೇ ಸಿದ್ಧಿ ಸಾಖಿ ಗೌರೀಸಾ ‘
ತುಳಸೀದಾಸ ಸದಾ ಹರಿ ಚೇರಾ ‘ ಕೀಜೈ ನಾಥ ಹೃದಯ ಮಹ ಡೇರಾ ‘
ದೋಹಾ
ಪವನ ತನ ಸಂಕಟ ಹರಣ ಮಂಗಳ ಮೂರತಿ ರೂಪ ‘
ರಾಮ ಲಖನ ಸೀತ ಸಹಿತ ಹೃದಯ ಬಸಹು ಸುರ ಭೂಪ ‘
శ్రీగురుచరణసరోజరజ నిజమన ముకుర సుధారి
వరణఉం రఘువర విమలయశ జో దాయక ఫలచారి |
బుద్ధిహీన తను జానికే సుమిరౌం పవనకుమార
బల బుద్ధి విద్యా దేహు మోహి హరహు కలేస వికార |చౌపాయీ-
జయ హనుమాన జ్ఞానగుణసాగర – జయ కపీశ తిహుం లోక ఉజాగర | ౧
రామదూత అతులితబలధామా – అంజనిపుత్ర పవనసుతనామా | ౨
మహావీర విక్రమ బజరంగీ – కుమతి నివార సుమతి కే సంగీ | ౩
కంచనవరన విరాజ సువేసా – కానన కుండల కుంచిత కేశా | ౪
హాథ వజ్ర అరు ధ్వజా విరాజై – కాంధే మూంజ జనేవూ సాజై | ౫
శంకరసువన కేసరీనందన – తేజ ప్రతాప మహాజగవందన | ౬
విద్యావాన గుణీ అతిచాతుర – రామ కాజ కరివే కో ఆతుర | ౭
ప్రభు చరిత్ర సునివే కో రసియా – రామ లఖన సీతా మన బసియా | ౮
సూక్ష్మ రూప ధరి సియహిం దిఖావా – వికట రూప ధరి లంక జరావా | ౯
భీమ రూప ధరి అసుర సంహారే – రామచంద్ర కే కాజ సంవారే | ౧౦
లాయ సజీవన లఖన జియాయే – శ్రీరఘువీర హరషి ఉర లాయే | ౧౧
రఘుపతి కీన్హీ బహుత బడాయీ – కహా భరత సమ తుమ ప్రియ భాయీ | ౧౨
సహస వదన తుమ్హరో యస గావైం – అస కహి శ్రీపతి కంఠ లగావై | ౧౩
సనకాదిక బ్రహ్మాది మునీశా – నారద శారద సహిత అహీశా | ౧౪
యమ కుబేర దిగపాల జహాం తే – కవి కోవిద కహి సకే కహాం తే | ౧౫
తుమ ఉపకార సుగ్రీవహిం కీన్హా – రామ మిలాయ రాజపద దీన్హా | ౧౬
తుమ్హరో మంత్ర విభీషన మానా – లంకేశ్వర భయే సబ జగ జానా | ౧౭
యుగ సహస్ర యోజన పర భానూ – లీల్యో తాహి మధుర ఫల జానూ | ౧౮
ప్రభు ముద్రికా మేలి ముఖమాహీ – జలధి లాంఘి గయే అచరజ నాహీం | ౧౯
దుర్గమ కాజ జగత కే జేతే – సుగమ అనుగ్రహ తుమ్హరే తేతే | ౨౦
రామ దుఆరే తుమ రఖవారే – హోత న ఆజ్ఞా బిను పైసారే | ౨౧
సబ సుఖ లహై తుమ్హారీ శరణా – తుమ రక్షక కాహూ కో డరనా | ౨౨
ఆపన తేజ సంహారో ఆపై – తీనోం లోక హాంక తేం కాంపై | ౨౩
భూత పిశాచ నికట నహిం ఆవై – మహావీర జబ నామ సునావై | ౨౪
నాసై రోగ హరై సబ పీరా – జపత నిరంతర హనుమత వీరా | ౨౫
సంకటసే హనుమాన ఛుడావై -మన క్రమ వచన ధ్యాన జో లావై | ౨౬
సబ పర రామ తపస్వీ రాజా – తిన కే కాజ సకల తుమ సాజా | ౨౭
ఔర మనోరథ జో కోయీ లావై – సోయీ అమిత జీవన ఫల పావై | ౨౮
చారోం యుగ పరతాప తుమ్హారా – హై పరసిద్ధ జగత ఉజియారా | ౨౯
సాధు సంత కే తుమ రఖవారే – అసుర నికందన రామ దులారే | ౩౦
అష్ట సిద్ధి నవ నిధి కే దాతా – అస వర దీన జానకీ మాతా | ౩౧
రామ రసాయన తుమ్హరే పాసా – సదా రహో రఘుపతి కే దాసా | ౩౨
తుమ్హరే భజన రామ కో పావై – జనమ జనమ కే దుఖ బిసరావై | ౩౩
అంత కాల రఘువరపుర జాయీ – జహాం జన్మ హరిభక్త కహాయీ | ౩౪
ఔర దేవతా చిత్త న ధరయీ – హనుమత సేయి సర్వ సుఖ కరయీ | ౩౫
సంకట కటై మిటై సబ పీరా – జో సుమిరై హనుమత బలబీరా | ౩౬
జై జై జై హనుమాన గోసాయీ – కృపా కరహు గురు దేవ కీ నాయీ | ౩౭
జో శత బార పాఠ కర కోయీ – ఛూటహి బంది మహా సుఖ హోయీ | ౩౮
జో యహ పఢై హనుమాన చలీసా – హోయ సిద్ధి సాఖీ గౌరీసా | ౩౯
తులసీదాస సదా హరి చేరా – కీజై నాథ హృదయ మహ డేరా | ౪౦దోహా-
పవనతనయ సంకట హరణ మంగల మూరతి రూప
రామ లఖన సీతా సహిత హృదయ బసహు సుర భూప |=====================Hanuman Chalisa in Oriya ରଚନ: ତୁଲସୀ ଦାସଦୋହା
ଶ୍ରୀ ଗୁରୁ ଚରଣ ସରୋଜ ରଜ ନିଜମନ ମୁକୁର ସୁଧାରି |
ଵରଣୌ ରଘୁଵର ଵିମଲୟଶ ଜୋ ଦାୟକ ଫଲଚାରି ||
ବୁଦ୍ଧିହୀନ ତନୁଜାନିକୈ ସୁମିରୌ ପଵନ କୁମାର |
ବଲ ବୁଦ୍ଧି ଵିଦ୍ୟା ଦେହୁ ମୋହି ହରହୁ କଲେଶ ଵିକାର ||ଧ୍ୟାନମ
ଗୋଷ୍ପଦୀକୃତ ଵାରାଶିଂ ମଶକୀକୃତ ରାକ୍ଷସମ |
ରାମାୟଣ ମହାମାଲା ରତ୍ନଂ ଵଂଦେ ଅନିଲାତ୍ମଜମ ||
ୟତ୍ର ୟତ୍ର ରଘୁନାଥ କୀର୍ତନଂ ତତ୍ର ତତ୍ର କୃତମସ୍ତକାଂଜଲିମ |
ଭାଷ୍ପଵାରି ପରିପୂର୍ଣ ଲୋଚନଂ ମାରୁତିଂ ନମତ ରାକ୍ଷସାଂତକମ ||ଚୌପାଈ
ଜୟ ହନୁମାନ ଜ୍ଞାନ ଗୁଣ ସାଗର |
ଜୟ କପୀଶ ତିହୁ ଲୋକ ଉଜାଗର || 1 ||ରାମଦୂତ ଅତୁଲିତ ବଲଧାମା |
ଅଂଜନି ପୁତ୍ର ପଵନସୁତ ନାମା || 2 ||ମହାଵୀର ଵିକ୍ରମ ବଜରଙ୍ଗୀ |
କୁମତି ନିଵାର ସୁମତି କେ ସଙ୍ଗୀ ||3 ||କଂଚନ ଵରଣ ଵିରାଜ ସୁଵେଶା |
କାନନ କୁଂଡଲ କୁଂଚିତ କେଶା || 4 ||ହାଥଵଜ୍ର ଔ ଧ୍ଵଜା ଵିରାଜୈ |
କାଂଥେ ମୂଂଜ ଜନେଵୂ ସାଜୈ || 5||ଶଂକର ସୁଵନ କେସରୀ ନନ୍ଦନ |
ତେଜ ପ୍ରତାପ ମହାଜଗ ଵନ୍ଦନ || 6 ||
ଵିଦ୍ୟାଵାନ ଗୁଣୀ ଅତି ଚାତୁର |
ରାମ କାଜ କରିଵେ କୋ ଆତୁର || 7 ||
ପ୍ରଭୁ ଚରିତ୍ର ସୁନିଵେ କୋ ରସିୟା |
ରାମଲଖନ ସୀତା ମନ ବସିୟା || 8||
ସୂକ୍ଷ୍ମ ରୂପଧରି ସିୟହି ଦିଖାଵା |
ଵିକଟ ରୂପଧରି ଲଂକ ଜରାଵା || 9 ||
ଭୀମ ରୂପଧରି ଅସୁର ସଂହାରେ |
ରାମଚଂଦ୍ର କେ କାଜ ସଂଵାରେ || 10 ||
ଲାୟ ସଂଜୀଵନ ଲଖନ ଜିୟାୟେ |
ଶ୍ରୀ ରଘୁଵୀର ହରଷି ଉରଲାୟେ || 11 ||
ରଘୁପତି କୀନ୍ହୀ ବହୁତ ବଡାୟୀ |
ତୁମ ମମ ପ୍ରିୟ ଭରତହି ସମ ଭାୟୀ || 12 ||
ସହସ ଵଦନ ତୁମ୍ହରୋ ୟଶଗାଵୈ |
ଅସ କହି ଶ୍ରୀପତି କଣ୍ଠ ଲଗାଵୈ || 13 ||
ସନକାଦିକ ବ୍ରହ୍ମାଦି ମୁନୀଶା |
ନାରଦ ଶାରଦ ସହିତ ଅହୀଶା || 14 ||
ୟମ କୁବେର ଦିଗପାଲ ଜହାଂ ତେ |
କଵି କୋଵିଦ କହି ସକେ କହାଂ ତେ || 15 ||
ତୁମ ଉପକାର ସୁଗ୍ରୀଵହି କୀନ୍ହା |
ରାମ ମିଲାୟ ରାଜପଦ ଦୀନ୍ହା || 16 ||
ତୁମ୍ହରୋ ମନ୍ତ୍ର ଵିଭୀଷଣ ମାନା |
ଲଂକେଶ୍ୱର ଭୟେ ସବ ଜଗ ଜାନା || 17 ||
ୟୁଗ ସହସ୍ର ୟୋଜନ ପର ଭାନୂ |
ଲୀଲ୍ୟୋ ତାହି ମଧୁର ଫଲ ଜାନୂ || 18 ||
ପ୍ରଭୁ ମୁଦ୍ରିକା ମେଲି ମୁଖ ମାହୀ |
ଜଲଧି ଲାଂଘି ଗୟେ ଅଚରଜ ନାହୀ || 19 ||
ଦୁର୍ଗମ କାଜ ଜଗତ କେ ଜେତେ |
ସୁଗମ ଅନୁଗ୍ରହ ତୁମ୍ହରେ ତେତେ || 20 ||
ରାମ ଦୁଆରେ ତୁମ ରଖଵାରେ |
ହୋତ ନ ଆଜ୍ଞା ବିନୁ ପୈସାରେ || 21 ||
ସବ ସୁଖ ଲହୈ ତୁମ୍ହାରୀ ଶରଣା |
ତୁମ ରକ୍ଷକ କାହୂ କୋ ଡର ନା || 22 ||
ଆପନ ତେଜ ତୁମ୍ହାରୋ ଆପୈ |
ତୀନୋଂ ଲୋକ ହାଂକ ତେ କାଂପୈ || 23 ||
ଭୂତ ପିଶାଚ ନିକଟ ନହି ଆଵୈ |
ମହଵୀର ଜବ ନାମ ସୁନାଵୈ || 24 ||
ନାସୈ ରୋଗ ହରୈ ସବ ପୀରା |
ଜପତ ନିରଂତର ହନୁମତ ଵୀରା || 25 ||
ସଂକଟ ସେଂ ହନୁମାନ ଛୁଡାଵୈ |
ମନ କ୍ରମ ଵଚନ ଧ୍ୟାନ ଜୋ ଲାଵୈ || 26 ||
ସବ ପର ରାମ ତପସ୍ଵୀ ରାଜା |
ତିନକେ କାଜ ସକଲ ତୁମ ସାଜା || 27 ||
ଔର ମନୋରଧ ଜୋ କୋୟି ଲାଵୈ |
ତାସୁ ଅମିତ ଜୀଵନ ଫଲ ପାଵୈ || 28 ||
ଚାରୋ ୟୁଗ ପରିତାପ ତୁମ୍ହାରା |
ହୈ ପରସିଦ୍ଧ ଜଗତ ଉଜିୟାରା || 29 ||
ସାଧୁ ସନ୍ତ କେ ତୁମ ରଖୱାରେ |
ଅସୁର ନିକନ୍ଦନ ରାମ ଦୁଲାରେ || 30 ||
ଅଷ୍ଠସିଦ୍ଧି ନଵ ନିଧି କେ ଦାତା |
ଅସ ଵର ଦୀନ୍ହ ଜାନକୀ ମାତା || 31 ||
ରାମ ରସାୟନ ତୁମ୍ହାରେ ପାସା |
ସାଦ ରହୋ ରଘୁପତି କେ ଦାସା || 32 ||
ତୁମ୍ହରେ ଭଜନ ରାମକୋ ପାଵୈ |
ଜନ୍ମ ଜନ୍ମ କେ ଦୁଖ ବିସରାଵୈ || 33 ||
ଅଂତ କାଲ ରଘୁଵର ପୁରଜାୟୀ |
ଜହାଂ ଜନ୍ମ ହରିଭକ୍ତ କହାୟୀ || 34 ||
ଔର ଦେଵତା ଚିତ୍ତ ନ ଧରୟୀ |
ହନୁମତ ସେୟି ସର୍ଵ ସୁଖ କରୟୀ || 35 ||
ସଂକଟ କଟୈ ମିଟୈ ସବ ପୀରା |
ଜୋ ସୁମିରୈ ହନୁମତ ବଲ ଵୀରା || 36 ||
ଜୈ ଜୈ ଜୈ ହନୁମାନ ଗୋସାୟୀ |
କୃପା କରୋ ଗୁରୁଦେଵ କୀ ନାୟୀ || 37 ||
ଜୋ ଶତ ଵାର ପାଠ କର କୋୟୀ |
ଛୂଟହି ବନ୍ଦି ମହା ସୁଖ ହୋୟୀ || 38 ||
ଜୋ ୟହ ପଡୈ ହନୁମାନ ଚାଲୀସା |
ହୋୟ ସିଦ୍ଧି ସାଖୀ ଗୌରୀଶା || 39 ||
ତୁଲସୀଦାସ ସଦା ହରି ଚେରା |
କୀଜୈ ନାଥ ହୃଦୟ ମହ ଡେରା || 40 ||
ଦୋହା
ପଵନ ତନୟ ସଙ୍କଟ ହରଣ – ମଙ୍ଗଳ ମୂରତି ରୂପ |
ରାମ ଲଖନ ସୀତା ସହିତ – ହୃଦୟ ବସହୁ ସୁରଭୂପ ||
ସିୟାଵର ରାମଚନ୍ଦ୍ରକୀ ଜୟ | ପଵନସୁତ ହନୁମାନକୀ ଜୟ | ବୋଲୋ ଭାୟୀ ସବ ସନ୍ତନକୀ ଜୟ |
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Hanuman Chalisa ഹനുമാൻ ചാലിസ in Malayalam
ദൊഹ
ശ്രീ ഗുരു ചരന് സരോജ് രജ് നിജമന മുകുര സുധാരി |
ബരനഉ രഘുബര് ബിമല ജസു ജോ ദായക് ഫല് ചാരി ||
ബുദ്ധി ഹീൻ തനു ജനികെ,സുമിരോ പാവന കുമാർ |
ബല ബുദ്ധി ബിദ്യ ദേഹുമോഹി ഹരഹു കലെസ് ബികാര്||
ചാലിസ
ജയ് ഹനുമാൻ ഗ്യാൻ ഗുണ സാഗർ, ജയ് കപിഷ് തിഹും ലോകഉജാകര്, ||01|
രാംദൂത് അതുലിത് ബല ധാമ ,അന്ജനി പുത്ര പവൻസുത നാമാ.||02||
മഹാബീർ ബിക്രം ബജ്റൻഗി,കുമതി നിവാർ സുമതി കെ സംഗി, ||03||
കഞ്ചൻ ബരൺ ബിരാജ് സുബിസാ,കാനന കുണ്ടൽ കുഞ്ചിത കേസ. ||04||
ഹാഥ് ബജ്ര ഓർ ധ്വജാ ബിർജായ്,കന്ധെ മൂന്ജ് ജനെ ഉ സാജേ,||05||
ശങ്കർ സുവന കേസരി നന്ദൻ,തേജ് പ്രതാപ് മഹാ ജാഗ് വന്ദൻ. ||06||
വിദ്യാവാൻ ഗുനി അതി ചതുർ,റാം കജ് കരിബേ കോ അതൂർ,||07||
പ്രഭു ചരിത്ര സുനിബെ കോ രസിയ, റാം ലഖൻ സിതാ മന ബസിയ ||08||
സൂക്ഷ്മ രൂപ ധരി സിയഹി ദിഖാവാ , ബികട് രൂപ ധരി ലങ്ക ജരാവാ || 9 ||
ഭീമ രൂപ ധരി അസുര് സംഹാരെ , രാമ ചന്ദ്ര കെ കാജ് സംവാരെ || 10 ||
ലായ് സഞ്ജീവന് ലഖന് ജിയായെ , ശ്രീ രഘുബീര് ഹരഷി ഉര് ലായേ || 11 ||
രഘുപതി കീൻഹി ബഹുത് ബഡായി , തുമ മമ പ്രിയ ഭരതഹി സമ ഭായി || 12 ||
സഹസ് ബദന് തുംഹരോ ജസ് ഗാവേ , അസ് കഹി ശ്രീപതി കൺഠ ലഗവൈ || 13 ||
സനകാദിക് ബ്രഹ്മാദി മുനീസാ , നാരദ സാരദ സഹിത് അഹീസാ || 14 ||
ജമു കുബേര് ദിക്പാല് ജഹാംതെ , കബി കൊബിത് കഹി സകേ കഹാം തെ || 15||
തുമ ഉപകാര് സുഗ്രീവഹി കീൻഹാ , രാമ മിലായെ രാജ്പദ് ദീംഹാ || 16||
തുംഹരോ മന്ത്ര് ബിഭീഷന് മാനാ , ലങ്കേശ്വര് ഭയ് സബ് ജഗ് ജാനാ || 17||
ജുഗ് സഹസ്ര് ജോജന് പര് ഭാനു , ലീല്യോ താഹി മധുര് ഫല് ജാനു || 18||
പ്രഭു മുദ്രികാ മേലി മുഖ മാഹി , ജലധി ലാംഖി ഗയേ അച് രജ് നാഹി || 19||
ദു: ർഗ്ഗമു കാജ് ജഗത് കെ ജേതേ , സുഗമ അനുഗ്രഹ തുംഹരെ തേതെ || 20||
രാമ ദുവാരെ തുമ രഖ് വാരെ , ഹോത് ന ആഗ്യ ബിന് പൈസാരേ || 21||
സബ് സുഖ ലഹൈ തുമ്ഹാരീ സരനാ , തുമ രക്ഷക് കാഹു കോ ഡര്ന || 22||
ആപന് തേജ് സംഹാരോ ആപൈ , തീനോ ലോക ഹാംക് തെ കാംപേ || 23||
ഭൂത പിസാച് നികട്ട് നഹി ആവൈ , മഹാബീര് ജബ് നാം സുനാവൈ || 24||
നാസൈ രോഗ് ഹരൈ സബ് പീരാ , ജപത് നിരന്തര് ഹനുമത് ബീരാ || 25||
സങ്കട് സെ ഹനുമാന് ചുഡാവൈ , മന് ക്രമു ബചന ധ്യാന് ജോ ലാവൈ || 26||
സബ് പര് രാം തപസ്വീ രാജാ , തിനകേ കാജ് സകല് തുമ സാജാ || 27||
ഔര് മനോരഥ് ജോ കോയി ലാവൈ , സോയി അമിത് ജീവന് ഫല് പാവൈ || 28||
ചാരോ ജഗ് പര് താപ് തുമ്ഹാര , ഹൈ പരസിദ്ധ ജഗത് ഉജിയാരാ || 29||
സാധു സംത് കെ തുമ രഖ് വാരെ , അസുര് നികന്ദന് രാം ദുലാരേ || 30||
അഷ്ട സിദ്ധി നവ നിധി കെ ദാതാ , അസ് ബര് ദീന് ജാനകീ മാതാ || 31||
രാം രസായനു തുംഹരെ പാസാ , സദാ രഹോ രഘു പതി കെ ദാസാ || 32||
തുംഹരെ ഭജന് രാം കോ പാവൈ , ജനമു ജനമു കെ ദുഖ് ബിസ് രാവേ || 33||
അന്ത കാല് രഘുബര് പുര് ജായി , ജഹാം ജന്മ ഹരി ഭക്ത് കഹായി || 34||
ഔര് ദേവതാ ചിത്ത് ന ധരയീ , ഹനുമത് സേയി സർബ സുഖ് കരയീ || 35||
സങ്കട് കടൈ മിടൈ സബ് പീരാ , ജോ സുമിരൈ ഹനുമത് ബല ബീര || 36||
ജയ് ജയ് ജയ് ഹനുമാൻ ഗോസായീ, കൃപ കരഹു ഗുരുദേവ് കി നായി || 37||
ജോ സത് ബാര് പഠ കര് കോയി , ചൂട്ട് ഹി ബന്ദി മഹാ സുഖ് ഹോയി || 38||
ജോ യഹ് പഠി ഹനുമാൻ ചാലിസ , ഹോയ് സിദ്ധീ സാഖീ ഗൌരീശാ || 39||
തുളസീ ദാസ് സദാ ഹരി ചേരാ , കീജൈ നാഥ് ഹൃദയ് മഹാ ഡേരാ || 40||
ദോഹ
പവന തനയ് സങ്കട ഹരന് മംഗള മൂരതി രൂപ്
രാമ ലഖന സീത സഹിത് ഹൃദയ ബസഹു സുരഭൂപ്
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Hanuman Chalisa in Gujarati
શ્રી હનુમાન ચાલીસા
દોહા :
શ્રીગુરુ ચરન સરોજ રજ, નિજ મનુ મુકુરુ સુધારિ.
બરનઊઁ રઘુબર બિમલ જસુ, જો દાયકુ ફલ ચારિ
બુદ્ધિહીન તનુ જાનિકે, સુમિરૌં પવન-કુમાર.
બલ બુદ્ધિ બિદ્યા દેહુ મોહિં, હરહુ કલેસ બિકાર
ચૌપાઈ :
જય હનુમાન જ્ઞાન ગુન સાગર.
જય કપીસ તિહુઁ લોક ઉજાગર
રામદૂત અતુલિત બલ ધામા.
અંજનિ-પુત્ર પવનસુત નામા
મહાબીર બિક્રમ બજરંગી.
કુમતિ નિવાર સુમતિ કે સંગી
કંચન બરન બિરાજ સુબેસા.
કાનન કુંડલ કુંચિત કેસા
હાથ બજ્ર ઔ ધ્વજા બિરાજૈ.
કાઁધે મૂઁજ જનેઊ સાજૈ.
સંકર સુવન કેસરીનંદન.
તેજ પ્રતાપ મહા જગ બન્દન
વિદ્યાવાન ગુની અતિ ચાતુર.
રામ કાજ કરિબે કો આતુર
પ્રભુ ચરિત્ર સુનિબે કો રસિયા.
રામ લખન સીતા મન બસિયા
સૂક્ષ્મ રૂપ ધરિ સિયહિં દિખાવા.
બિકટ રૂપ ધરિ લંક જરાવા
ભીમ રૂપ ધરિ અસુર સઁહારે.
રામચંદ્ર કે કાજ સઁવારે
લાય સજીવન લખન જિયાયે.
શ્રીરઘુબીર હરષિ ઉર લાયે
રઘુપતિ કીન્હી બહુત બડાઈ.
તુમ મમ પ્રિય ભરતહિ સમ ભાઈ
સહસ બદન તુમ્હરો જસ ગાવૈં.
અસ કહિ શ્રીપતિ કંઠ લગાવૈં
સનકાદિક બ્રહ્માદિ મુનીસા.
નારદ સારદ સહિત અહીસા
જમ કુબેર દિગપાલ જહાઁ તે.
કબિ કોબિદ કહિ સકે કહાઁ તે
તુમ ઉપકાર સુગ્રીવહિં કીન્હા.
રામ મિલાય રાજ પદ દીન્હા
તુમ્હરો મંત્ર બિભીષન માના.
લંકેસ્વર ભએ સબ જગ જાના
જુગ સહસ્ર જોજન પર ભાનૂ.
લીલ્યો તાહિ મધુર ફલ જાનૂ
પ્રભુ મુદ્રિકા મેલિ મુખ માહીં.
જલધિ લાઁઘિ ગયે અચરજ નાહીં
દુર્ગમ કાજ જગત કે જેતે.
સુગમ અનુગ્રહ તુમ્હરે તેતે
રામ દુઆરે તુમ રખવારે.
હોત ન આજ્ઞા બિનુ પૈસારે
સબ સુખ લહૈ તુમ્હારી સરના.
તુમ રક્ષક કાહૂ કો ડર ના
આપન તેજ સમ્હારો આપૈ.
તીનોં લોક હાઁક તેં કાઁપૈ
ભૂત પિસાચ નિકટ નહિં આવૈ.
મહાબીર જબ નામ સુનાવૈ
નાસૈ રોગ હરૈ સબ પીરા.
જપત નિરંતર હનુમત બીરા
સંકટ તેં હનુમાન છુડાવૈ.
મન ક્રમ બચન ધ્યાન જો લાવૈ
સબ પર રામ તપસ્વી રાજા.
તિન કે કાજ સકલ તુમ સાજા.
ઔર મનોરથ જો કોઈ લાવૈ.
સોઇ અમિત જીવન ફલ પાવૈ
ચારોં જુગ પરતાપ તુમ્હારા.
હૈ પરસિદ્ધ જગત ઉજિયારા
સાધુ સંત કે તુમ રખવારે.
અસુર નિકંદન રામ દુલારે
અષ્ટ સિદ્ધિ નૌ નિધિ કે દાતા.
અસ બર દીન જાનકી માતા
રામ રસાયન તુમ્હરે પાસા.
સદા રહો રઘુપતિ કે દાસા
તુમ્હરે ભજન રામ કો પાવૈ.
જનમ-જનમ કે દુખ બિસરાવૈ
અન્તકાલ રઘુબર પુર જાઈ.
જહાઁ જન્મ હરિ-ભક્ત કહાઈ
ઔર દેવતા ચિત્ત ન ધરઈ.
હનુમત સેઇ સર્બ સુખ કરઈ
સંકટ કટૈ મિટૈ સબ પીરા.
જો સુમિરૈ હનુમત બલબીરા
જૈ જૈ જૈ હનુમાન ગોસાઈં.
કૃપા કરહુ ગુરુદેવ કી નાઈં
જો સત બાર પાઠ કર કોઈ.
છૂટહિ બંદિ મહા સુખ હોઈ
જો યહ પઢૈ હનુમાન ચાલીસા.
હોય સિદ્ધિ સાખી ગૌરીસા
તુલસીદાસ સદા હરિ ચેરા.
કીજૈ નાથ હૃદય મઁહ ડેરા
દોહા :
પવનતનય સંકટ હરન, મંગલ મૂરતિ રૂપ.
રામ લખન સીતા સહિત, હૃદય બસહુ સુર ભૂપ
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Hanuman Chalisa in Bengali
রচন: তুলসী দাস
দোহা
শ্রী গুরু চরণ সরোজ রজ নিজমন মুকুর সুধারি |
বরণৌ রঘুবর বিমলয়শ জো দায়ক ফলচারি ||
বুদ্ধিহীন তনুজানিকৈ সুমিরৌ পবন কুমার |
বল বুদ্ধি বিদ্য়া দেহু মোহি হরহু কলেশ বিকার ||
ধ্য়ানম
গোষ্পদীকৃত বারাশিং মশকীকৃত রাক্ষসম |
রামায়ণ মহামালা রত্নং বংদে অনিলাত্মজম ||
য়ত্র য়ত্র রঘুনাথ কীর্তনং তত্র তত্র কৃতমস্তকাংজলিম |
ভাষ্পবারি পরিপূর্ণ লোচনং মারুতিং নমত রাক্ষসাংতকম ||
চৌপাঈ
জয় হনুমান জ্ঞান গুণ সাগর |
জয় কপীশ তিহু লোক উজাগর || 1 ||
রামদূত অতুলিত বলধামা |
অংজনি পুত্র পবনসুত নামা || 2 ||
মহাবীর বিক্রম বজরঙ্গী |
কুমতি নিবার সুমতি কে সঙ্গী ||3 ||
কংচন বরণ বিরাজ সুবেশা |
কানন কুংডল কুংচিত কেশা || 4 ||
হাথবজ্র ঔ ধ্বজা বিরাজৈ |
কাংথে মূংজ জনেবূ সাজৈ || 5||
শংকর সুবন কেসরী নন্দন |
তেজ প্রতাপ মহাজগ বন্দন || 6 ||
বিদ্য়াবান গুণী অতি চাতুর |
রাম কাজ করিবে কো আতুর || 7 ||
প্রভু চরিত্র সুনিবে কো রসিয়া |
রামলখন সীতা মন বসিয়া || 8||
সূক্ষ্ম রূপধরি সিয়হি দিখাবা |
বিকট রূপধরি লংক জরাবা || 9 ||
ভীম রূপধরি অসুর সংহারে |
রামচংদ্র কে কাজ সংবারে || 1০ ||
লায় সংজীবন লখন জিয়ায়ে |
শ্রী রঘুবীর হরষি উরলায়ে || 11 ||
রঘুপতি কীন্হী বহুত বডায়ী |
তুম মম প্রিয় ভরতহি সম ভায়ী || 12 ||
সহস বদন তুম্হরো য়শগাবৈ |
অস কহি শ্রীপতি কণ্ঠ লগাবৈ || 13 ||
সনকাদিক ব্রহ্মাদি মুনীশা |
নারদ শারদ সহিত অহীশা || 14 ||
য়ম কুবের দিগপাল জহাং তে |
কবি কোবিদ কহি সকে কহাং তে || 15 ||
তুম উপকার সুগ্রীবহি কীন্হা |
রাম মিলায় রাজপদ দীন্হা || 16 ||
তুম্হরো মন্ত্র বিভীষণ মানা |
লংকেশ্বর ভয়ে সব জগ জানা || 17 ||
য়ুগ সহস্র য়োজন পর ভানূ |
লীল্য়ো তাহি মধুর ফল জানূ || 18 ||
প্রভু মুদ্রিকা মেলি মুখ মাহী |
জলধি লাংঘি গয়ে অচরজ নাহী || 19 ||
দুর্গম কাজ জগত কে জেতে |
সুগম অনুগ্রহ তুম্হরে তেতে || 2০ ||
রাম দুআরে তুম রখবারে |
হোত ন আজ্ঞা বিনু পৈসারে || 21 ||
সব সুখ লহৈ তুম্হারী শরণা |
তুম রক্ষক কাহূ কো ডর না || 22 ||
আপন তেজ তুম্হারো আপৈ |
তীনোং লোক হাংক তে কাংপৈ || 23 ||
ভূত পিশাচ নিকট নহি আবৈ |
মহবীর জব নাম সুনাবৈ || 24 ||
নাসৈ রোগ হরৈ সব পীরা |
জপত নিরংতর হনুমত বীরা || 25 ||
সংকট সেং হনুমান ছুডাবৈ |
মন ক্রম বচন ধ্য়ান জো লাবৈ || 26 ||
সব পর রাম তপস্বী রাজা |
তিনকে কাজ সকল তুম সাজা || 27 ||
ঔর মনোরধ জো কোয়ি লাবৈ |
তাসু অমিত জীবন ফল পাবৈ || 28 ||
চারো য়ুগ পরিতাপ তুম্হারা |
হৈ পরসিদ্ধ জগত উজিয়ারা || 29 ||
সাধু সন্ত কে তুম রখবারে |
অসুর নিকন্দন রাম দুলারে || 3০ ||
অষ্ঠসিদ্ধি নব নিধি কে দাতা |
অস বর দীন্হ জানকী মাতা || 31 ||
রাম রসায়ন তুম্হারে পাসা |
সাদ রহো রঘুপতি কে দাসা || 32 ||
তুম্হরে ভজন রামকো পাবৈ |
জন্ম জন্ম কে দুখ বিসরাবৈ || 33 ||
অংত কাল রঘুবর পুরজায়ী |
জহাং জন্ম হরিভক্ত কহায়ী || 34 ||
ঔর দেবতা চিত্ত ন ধরয়ী |
হনুমত সেয়ি সর্ব সুখ করয়ী || 35 ||
সংকট কটৈ মিটৈ সব পীরা |
জো সুমিরৈ হনুমত বল বীরা || 36 ||
জৈ জৈ জৈ হনুমান গোসায়ী |
কৃপা করো গুরুদেব কী নায়ী || 37 ||
জো শত বার পাঠ কর কোয়ী |
ছূটহি বন্দি মহা সুখ হোয়ী || 38 ||
জো য়হ পডৈ হনুমান চালীসা |
হোয় সিদ্ধি সাখী গৌরীশা || 39 ||
তুলসীদাস সদা হরি চেরা |
কীজৈ নাথ হৃদয় মহ ডেরা || 4০ ||
দোহা
পবন তনয় সঙ্কট হরণ – মঙ্গল মূরতি রূপ |
রাম লখন সীতা সহিত – হৃদয় বসহু সুরভূপ ||
সিয়াবর রামচন্দ্রকী জয় | পবনসুত হনুমানকী জয় | বোলো ভায়ী সব সন্তনকী জয় |
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Sri Hanuman Chalisa in English Text
Doha
Shri Guru Charan Saroj raj Nija manu Mukura sudhari
Baranau Raghuvar Bimal Jasu Jo Dayaku Phala Chari
Budheeheen Tanu Jannike Sumiro Pavan Kumara
Bal Buddhi Vidya Dehoo Mohee Harahu Kalesh Vikaar
Chaupai
Jai Hanuman gyan gun sagar
Jai Kapis tihun lok ujagar
Ram doot atulit bal dhama
Anjani putra Pavan sut nama
Mahabir vikram Bajrangi
Kumati nivar sumati Ke sangi
Kanchan varan viraj subesa
Kanan Kundal Kunchit Kesha
Hath Vajra Aur Dhwaja Viraje
Kaandhe moonj janeu saaje
Sankar suvan kesri Nandan
Tej prataap maha jag vandan
Vidyavaan guni ati chatur
Ram kaj karibe ko aatur
Prabhu charitra sunibe ko rasiya
Ram Lakhan Sita man Basiya
Sukshma roop dhari Siyahi dikhava
Vikat roop dhari lank jalava
Bhim roop dhari asur sanhare
Ramachandra ke kaj sanvare
Laye Sanjivan Lakhan Jiyaye
Shri Raghuvir Harashi ur laye
Raghupati Kinhi bahut badai
Tum mama priya Bharat-hi-sam bhai
Sahas badan tumharo yash gaave
As kahi Shripati kanth lagaave
Sankadhik Brahmaadi Muneesa
Narad Sarad sahit Aheesa
Yam Kuber Dikpaal Jahan te
Kavi kovid kahi sake kahan te
Tum upkar Sugreevahin keenha
Ram milaye rajpad deenha
Tumhro mantra Vibheeshan maana
Lankeshwar Bhaye Sab jag jana
Yug sahasra yojan par Bhanu
Leelyo tahi madhur phal janu
Prabhu mudrika meli mukh mahee
Jaladhi langhi gaye achraj nahee
Durgam kaj jagat ke jete
Sugam anugraha tumhre tete
Ram duwaare tum rakhvare
Hot na agya binu paisare
Sab sukh lahai tumhari sarna
Tum rakshak kahu ko darna
Aapan tej samharo aapai
Teenon lok hank te kanpai
Bhoot pisaach Nikat nahin aavai
Mahavir jab naam sunavai
Nase rog harae sab peera
Japat nirantar Hanumat beera
Sankat se Hanuman chhudavai
Man Kram Vachan dhyan jo lavai
Sab par Ram tapasvee raja
Tin ke kaj sakal Tum saja
Aur manorath jo koi lavai
Soi amit jeevan phal pavai
Charon jug partap tumhara
Hai parsiddh jagat ujiyara
Sadhu Sant ke tum Rakhware
Asur nikandan Ram dulare
Ashta siddhi nav nidhi ke data
As var deen Janki mata
Ram rasayan tumhare pasa
Sada raho Raghupati ke dasa
Tumhare bhajan Ram ko pavai
Janam janam ke dukh bisraavai
Antkaal Raghuvar pur jayee
Jahan janam Hari Bhakt Kahayee
Aur Devta Chitt na dharahin
Hanumat sei sarv sukh karahin
Sankat kate mite sab peera
Jo sumirai Hanumat Balbeera
Jai Jai Jai Hanuman Gosain
Kripa Karahun Gurudev ki nayin
Jo shat bar path kare koi
Chhutahin bandi maha sukh hoi
Jo yeh padhe Hanuman Chalisa
Hoye siddhi saakhi Gaureesa
Tulsidas sada hari chera
Keejai Nath Hriday mahn dera
Doha
Pavan Tanay Sankat Harana Mangala Murati Roop
Ram Lakhan Sita Sahita Hriday Basahu Soor Bhoop
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Shree ram jai ram jai jai ram
Jai bajrang bali hanuman ki jai
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