नागपंचमी विशेष : नागदेव से करें यह प्रार्थनापंचम्यां तत्र भविता ब्रह्मा प्रोवाच लेलीहान।तस्मादियं महाबाहो पंचमी दयिता सदा।नागानामानन्दकरी दंत वै ब्रह्नणा पुरा।। अर्थात : ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को ही नाग-सर्पों
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार माह की त्रयोदशी तिथि में सायंकाल को प्रदोष काल कहा जाता है। इस प्रदोष व्रत को मंगलकारी एवं शिव की कृपा दिलाने वाला माना गया है।