मेले में दो घंटे: रंगों, ध्वनियों और खुशियों की दुनिया
मेला, एक ऐसा उत्सव जो हमारे भारतीय संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसा सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन है जहां लोग एक साथ आते हैं, खुशी मनाते हैं, मनोरंजन का आनंद लेते हैं और खरीदारी करते हैं। मेले अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित होते हैं और वाणिज्यिक, कृषि और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का कार्य करते हैं। मेले में विभिन्न प्रकार के खेल, मनोरंजन और वाणिज्यिक गतिविधियाँ होती हैं।
एक बार मुझे मेले में दो घंटे बिताने का अवसर मिला। मेरा दिल उत्साह से भरा था। मेले में घुसते ही मैं रंगों, ध्वनियों और खुशियों की दुनिया में खो गया। चारों तरफ रंग-बिरंगी दुकानें थीं, जहां तरह-तरह के कपड़े, खिलौने, मिठाइयाँ और अन्य सामान बिक रहे थे। हवा में तरह-तरह के खाने-पीने के सामान की खुशबू आ रही थी।
मैं मेले में घूमता रहा और तरह-तरह की चीजें देखता रहा। मैंने एक दुकान से रंग-बिरंगे खिलौने खरीदे और एक दुकान से चाट खाई। मैं एक जादूगर का शो देखने के लिए भी रुका और उसके जादू से बहुत प्रभावित हुआ।
मेले में घूमते हुए मैंने देखा कि लोग कितने खुश थे। सभी लोग एक-दूसरे से मिल-जुलकर बातें कर रहे थे और हँसी-खुशी कर रहे थे। मेले में एक अलग ही तरह का माहौल था, जहाँ सभी लोग अपने गम और चिंताओं को भूलकर खुशियाँ मना रहे थे।
दो घंटे बाद मेरा मन मेले से जाने को नहीं कर रहा था। लेकिन मुझे जाना पड़ा। मैं मेले से निकला और अपने घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में मैं मेले में बिताए हुए उन दो घंटों के बारे में सोचता रहा। मुझे एहसास हुआ कि मेले ने मुझे कितना खुश कर दिया था।
मेले में बिताए हुए वे दो घंटे मेरे जीवन के सबसे सुखद अनुभवों में से एक रहे। मुझे आज भी वे दो घंटे याद आते हैं और मैं उन पलों को कभी नहीं भूल सकता। मेला वास्तव में एक ऐसा स्थान है जहां लोग खुशियाँ मनाते हैं और अपने गमों को भूल जाते हैं।
जय हिंद!