ॐ नमः शिवाय जाप से Aura और कुंडलिनी जागरण
लेख का रूपरेखा (Outline)
- परिचय
- शिवा मंत्र और ॐ नमः शिवाय की महिमा
- इस जाप से होने वाले लाभ
- शिवा मंत्र: पंचाक्षरी और षडाक्षरी मंत्र
- पंचाक्षरी मंत्र का महत्व
- ॐ जोड़ने से मंत्र की शक्ति
- जाप की अवधि और उसका प्रभाव
- 10-15 मिनट के जाप का असर
- रोज़ाना जाप की अवधि और परिणाम
- Aura और उसकी परतें
- 78 परतों वाला Aura कैसे बनता है?
- जाप के साथ Aura के रंग और उसके संकेत
- Aura के रंग और उनके अर्थ
- ब्लू, ऑरेंज, और व्हाइट Aura का महत्व
- शिव तत्व से जुड़ी एनर्जी
- संकल्प के साथ जाप का महत्व
- संकल्प के बिना और संकल्प के साथ जब का अंतर
- संकल्प से जुड़ी ऊर्जा और उसके लाभ
- कुंडलिनी जागरण और शिव तत्व
- कुंडलिनी ऊर्जा की शक्ति
- शिव तत्व और शक्ति का संयोजन
- शिव भक्तों की Aura की पहचान
- Aura स्कैनिंग और उसकी उपयोगिता
- अपनी प्रगति का आकलन
- शिव तत्व और हनुमान जी का संबंध
- हनुमान जी का शिव भक्तों के पास रहना
- हनुमान जी की सुरक्षा और साधु-संत का ध्यान
- सपनों में हनुमान जी के दर्शन
- हनुमान जी से जुड़े संकेत और स्वप्न
- Meditation कक्षाओं का महत्व
- नियमित कक्षाओं से मिलने वाले लाभ
- Aura स्कैनिंग और प्रगति की जांच
- शिव तत्व का अर्थ
- भगवान से जुड़ाव की शक्ति
- शिव तत्व का गहरा अर्थ
- शिव जाप की वैज्ञानिकता
- मंत्र जाप का विज्ञान और उसके प्रभाव
- शिवा मंत्र से मिलने वाली अन्य ऊर्जाएं
- कुंडलिनी जागरण से जुड़े अन्य फायदे
- निष्कर्ष
- नियमित जाप और उसके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव
ॐ नमः शिवाय के रोज़ जाप से Aura और कुंडलिनी जागरण
परिचय
शिवा मंत्र “ॐ नमः शिवाय” भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि इससे मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। जब हम इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करते हैं, तो हमारी Aura मजबूत होती है और कुंडलिनी ऊर्जा जागृत होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि कितने दिन के जाप से Aura का निर्माण होता है और कुंडलिनी कब जागृत हो सकती है।
शिवा मंत्र: पंचाक्षरी और सोनाक्षी मंत्र
शिव मंत्र को दो भागों में विभाजित किया गया है – पंचाक्षरी और सोनाक्षी। पंचाक्षरी मंत्र “नमः शिवाय” है, जबकि जब हम इसमें “ॐ” जोड़ते हैं, तो यह मंत्र और भी शक्तिशाली बन जाता है। ॐ शब्द के बिना मंत्र अधूरा माना जाता है। यह ऊर्जा को लॉक करने का कार्य करता है, जिससे जाप की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
जाप की अवधि और उसका प्रभाव
अगर आप रोज़ 10-15 मिनट “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हैं, तो लगभग 15 दिनों में इसका असर दिखने लगता है। इस समयावधि में आप अपनी Aura में बदलाव महसूस करने लगते हैं। सामान्यतः 15 मिनट के जाप में आप लगभग 8 से 12 माला का जाप कर सकते हैं। यह आपकी Aura को मजबूत बनाने में सहायक होता है।
Aura और उसकी परतें
रोज़ 15 मिनट के जाप से लगभग 78 परतों वाली Aura बनती है। ये परतें आपकी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का संकेत देती हैं। अगर आप ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जाप करते हैं, तो Aura की परतें और भी मजबूत बनती हैं, जिससे आपकी ऊर्जा संरक्षित रहती है।
Aura के रंग और उनके अर्थ
शिवा मंत्र के नियमित जाप से Aura का रंग बदलता है। सामान्यतः “ॐ नमः शिवाय” के जाप से ब्लू, ऑरेंज, या व्हाइट रंग की Aura बनती है। ब्लू रंग शिवा की ऊर्जा का प्रतीक है, जबकि ऑरेंज और व्हाइट रंग शुद्धता और शक्ति का संकेत देते हैं। यह रंग आपको आध्यात्मिक रूप से अधिक जागरूक बनाते हैं।
संकल्प के साथ जाप का महत्व
जाप करते समय संकल्प लेना बहुत महत्वपूर्ण होता है। जब आप बिना संकल्प के जाप करते हैं, तो ऊर्जा केवल शरीर के बाहर रह जाती है। लेकिन जब आप संकल्प के साथ जाप करते हैं, तो यह ऊर्जा आपके भीतर स्थापित होती है और आपके लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक होती है।
कुंडलिनी जागरण और शिव तत्व
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र से कुंडलिनी जागरण बहुत प्रभावी होता है। कुंडलिनी, जो हमारी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में स्थित होती है, शिव मंत्र के जाप से धीरे-धीरे जागृत होती है। यह जागरण हमें मानसिक और शारीरिक रूप से शक्तिशाली बनाता है। शिव तत्व से जुड़ी शक्ति स्वतः आपके भीतर जागृत हो जाती है, क्योंकि जहां शिव होते हैं, वहां शक्ति भी होती है।
शिव भक्तों की Aura की पहचान
जो लोग नियमित रूप से शिव मंत्र का जाप करते हैं, उनकी Aura विशेष रूप से मजबूत होती है। उनकी Aura का रंग स्पष्ट होता है और वे ऊर्जा से भरपूर होते हैं। आप अपनी प्रगति को Aura स्कैनिंग के माध्यम से जान सकते हैं। यह स्कैनिंग आपको यह बताती है कि आपकी Aura कितनी परतों वाली है और इसका रंग क्या है।
शिव तत्व और हनुमान जी का संबंध
शिव भक्तों के साथ सदैव हनुमान जी की उपस्थिति होती है। हनुमान जी, जो शिव के 11वें अवतार माने जाते हैं, शिव भक्तों की सुरक्षा करते हैं। हनुमान जी की उपस्थिति साधु-संतों के लिए एक आशीर्वाद के रूप में मानी जाती है, और जो भी शिव का जाप करता है, वह उनकी सुरक्षा में होता है।
सपनों में हनुमान जी के दर्शन
अगर आप नियमित रूप से “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हैं, तो हनुमान जी आपके सपनों में दर्शन देते हैं। आपको मंकी के सपने आ सकते हैं, या आप खुद को उड़ते हुए देख सकते हैं। यह संकेत होते हैं कि हनुमान जी आपकी प्रोटेक्शन कर रहे हैं।
Meditation कक्षाओं का महत्व
शिव मंत्र जाप करने वाले लोगों को Meditation कक्षाओं में शामिल होना चाहिए। इससे आप नियमित रूप से अपनी Aura की जांच कर सकते हैं और अपनी प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं। ये कक्षाएं आपको मानसिक रूप से और अधिक सक्षम बनाती हैं और आपको आत्मज्ञान की ओर ले जाती हैं।
शिव तत्व का अर्थ
शिव तत्व का अर्थ होता है भगवान शिव से जुड़ाव। यह जुड़ाव हमें उनके गुणों और शक्तियों से परिचित कराता है। जब आप शिव तत्व से जुड़ते हैं, तो आप उनके साथ शक्ति देवी के तत्व से भी जुड़ जाते हैं, क्योंकि शिव और शक्ति दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।
शिव जाप की वैज्ञानिकता
मंत्र जाप का विज्ञान भी बहुत महत्वपूर्ण है। मंत्र ध्वनि तरंगों के रूप में हमारे शरीर और मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है, जिससे मानसिक शांति और ऊर्जा की वृद्धि होती है। “ॐ नमः शिवाय” की ध्वनि तरंगे आपकी ऊर्जा को केंद्रित करने में सहायक होती हैं।
शिवा मंत्र से मिलने वाली अन्य ऊर्जाएं
शिवा मंत्र केवल Aura और कुंडलिनी जागरण तक सीमित नहीं है। इससे आपको अन्य कई ऊर्जाएं भी प्राप्त होती हैं, जैसे कि आत्मविश्वास, मानसिक शांति और सकारात्मकता। शिव मंत्र का जाप आपको संपूर्णता का अनुभव कराता है।
निष्कर्ष
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का नियमित जाप न केवल Aura को मजबूत बनाता है, बल्कि कुंडलिनी ऊर्जा को भी जागृत करता है। इससे व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से अधिक सशक्त होता है। शिव तत्व से जुड़कर आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। हनुमान जी की उपस्थिति और सुरक्षा का अनुभव भी शिव भक्तों के लिए एक बड़ा आशीर्वाद होता है।
FAQs
- ॐ नमः शिवाय का जाप कब करना चाहिए? जाप सुबह के समय या ध्यान करते वक्त करना सबसे प्रभावी होता है।
- क्या ॐ नमः शिवाय से कुंडलिनी जागरण हो सकता है? हां, नियमित जाप से कुंडलिनी जागरण संभव है।
- Aura का रंग क्या संकेत करता है? Aura का रंग आपकी आंतरिक ऊर्जा और मानसिक स्थिति का प्रतीक होता है।
- हनुमान जी शिव भक्तों के साथ क्यों रहते हैं? हनुमान जी, शिव के 11वें अवतार हैं, इसलिए वे शिव भक्तों की रक्षा करते हैं।
- क्या बिना संकल्प के भी मंत्र जाप किया जा सकता है? हां, लेकिन संकल्प के साथ मंत्र जाप अधिक प्रभावी होता है।