हनुमान चालीसा तुलसीदास श्री गुरू चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि, बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार, बल बुद्धि विद्या
Download All Ved and Puran in Pdf Format Agni Puran (Download) Bhagwat Puran (Download) Bhavishya Puran (Download) Brahma Puran (Download) Brahmand Puran (Download Part I) (Download Part II) Garuda Puran
Shri Hanuman Ji Ki Aarti in Hindi and English श्री हनुमान जी की आरती (Shri Hanuman Ji Ki Aarti) आरति कीजै हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||
॥ आरती श्रीमद्भागवतमहापुराण की ॥ Srimad Bhagavata Mahapurana ki Aarti आरती अतिपावन पुरान की । धर्म-भक्ति-विज्ञान-खान की ॥ टेक ॥ महापुराण भागवत निर्मल । शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल ॥ परमानन्द सुधा-रसमय कल
[ad name="HTML"] .. हनुमान चालीसा - अर्थ .. Doha With the dust of Guru's lotus feet, I fiirst clean the mirror of my heart and then narrrate the sacred glory
Sanskrit Hanuman Chalisa 2
श्रीसरस्वतीचालीसा ॥दोहा॥ जनकजननिपद्मरज, निजमस्तकपरधरि।बन्दौंमातुसरस्वती, बुद्धिबलदेदातारि॥ पूर्णजगतमेंव्याप्ततव, महिमाअमितअनंतु।दुष्जनोंकेपापको, मातुतुहीअबहन्तु॥ जयश्रीसकलबुद्धिबलरासी।जयसर्वज्ञअमरअविनाशी॥ जयजयजयवीणाकरधारी।करतीसदासुहंससवारी॥ रूपचतुर्भुजधारीमाता।सकलविश्वअन्दरविख्याता॥ जगमेंपापबुद्धिजबहोती।तबहीधर्मकीफीकीज्योति॥ तबहीमातुकानिजअवतारी।पापहीनकरतीमहतारी॥ वाल्मीकिजीथेहत्यारा।तवप्रसादजानैसंसारा॥ रामचरितजोरचेबनाई।आदिकविकीपदवीपाई॥ कालिदासजोभयेविख्याता।तेरीकृपादृष्टिसेमाता॥ तुलसीसूरआदिविद्वाना।भयेऔरजोज्ञानीनाना॥ तिन्हनऔररहेउअवलम्बा।केवकृपाआपकीअम्बा॥ करहुकृपासोइमातुभवानी।दुखितदीननिजदासहिजानी॥ पुत्रकरहिंअपराधबहूता।तेहिनधरईचितमाता॥ राखुलाजजननिअबमेरी।विनयकरउंभांतिबहुतेरी॥ मैंअनाथतेरीअवलंबा।कृपाकरउजयजयजगदंबा॥ मधुकैटभजोअतिबलवाना।बाहुयुद्धविष्णुसेठाना॥ समरहजारपाँचमेंघोरा।फिरभीमुखउनसेनहींमोरा॥ मातुसहायकीन्हतेहिकाला।बुद्धिविपरीतभईखलहाला॥ तेहितेमृत्युभईखलकेरी।पुरवहुमातुमनोरथमेरी॥ चंडमुण्डजोथेविख्याता।क्षणमहुसंहारेउनमाता॥ रक्तबीजसेसमरथपापी।सुरमुनिहदयधरासबकाँपी॥ काटेउसिरजिमिकदलीखम्बा।बारबारबिनवउंजगदंबा॥ जगप्रसिद्धजोशुंभनिशुंभा।क्षणमेंबाँधेताहितूअम्बा॥
Kaila Devi Chalisa | कैलादेवी चालीसा श्री कैलादेवी चालीसा !! दोहा : जय जय कैला मात है तुम्हे नमाउ माथ || शरण पडू में चरण में जोडू दोनों हाथ ||
मंगलवार व्रत की आरती Mangalvar Vrat Ki Aarti मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता, मंगल मंगल देव अनन्ता हाथ वज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेउ साजे शंकर सुवन केसरी नन्दन,