Essay – Nibandh

आरती दुर्गा जी की (Aarti Sri Durga Ji Ki)

आरती दुर्गा जी की (Aarti Sri Durga Ji Ki) जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निश दिन ध्यावत हरि ब्रह्‌मा शिवरी॥ मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को। उज्ज्वल

आरती गणेश जी की (Aarti Ganesh Ji Ki)

आरती गणेश जी की (Aarti Ganesh Ji Ki) जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे पे सिंदूर सोहे,

श्री रामायण जी की आरती (Aarti Shri Ramayan Ji ki)

श्री रामायण जी की आरती (Aarti Shri Ramayan Ji ki) महर्षि वाल्मीकि आरति श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिय पी की॥ गावत ब्रह्‌मादिक मुनि नारद। बाल्मीकि बिग्यान बिसारद॥

आरती श्री शिव जी की (Aarti Shri Shiv Ji Ki)

आरती श्री शिव जी की (Aarti Shri Shiv Ji Ki) जय शिव ओंकारा, हर शिव ओंकारा, ब्रह्‌मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा। एकानन चतुरानन पंचानन राजै हंसानन गरुणासन वृषवाहन साजै। दो

आरती श्री महावीर जी की ||Shri Mahaveer Swami Ki Aarti ||

आरती श्री महावीर जी की ||Shri Mahaveer Swami Ki Aarti || जय महावीर प्रभो। स्वामी जय महावीर प्रभो। जगनायक सुखदायक, अति गम्भीर प्रभो।।ओउम।। कुण्डलपुर में जन्में, त्रिशला के जाये। पिता