॥ श्रीहनुमद्रक्षास्तोत्रम् ॥ HANUMAN RAKSHA STOTRAM वामे करे वैरिभिदं वहन्तं शैलं परे शृङ्खलहारटङ्कम् । ददानमच्छाच्छसुवर्णवर्णं भजे ज्वलत्कुण्डलमाञ्जनेयम् ॥ १ ॥ पद्मरागमणिकुण्डलत्विषा पाटलीकृतकपोलमस्तकम् । दिव्यहेमकदलीवनान्तरे भावयामि पवमाननन्दनम् ॥ २ ॥ उद्यदादित्यसङ्काशमुदारभुजविक्रमम्