नवरात्र आदिशक्ति को जागृत करने का प्रमुख पर्व है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पूर्व माता भगवती और भगवान शिव की आराधना की थी। इसलिए इन दिनों तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का पाठ किया जाता है।
कहते हैं जिस घर में पूर्ण श्रद्धा भाव से रामचरितमानस का अखंड पाठ होता है, वहां श्री राम के अनन्य भक्त पवनपुत्र हनुमानजी स्वयं मौजूद रहते हैं और प्रभु श्रीराम तथा माता भगवती का आशीर्वाद अपने माध्यम से समस्त भक्तों तक पहुंचाते हैं।
रामचरितमानस का पाठ पूर्ण होने पर पारायण किया जाता है। इसके लिए विधि-विधान से रामायण की आरती, श्रीरामजी की वंदना, हनुमानजी की आरती के बाद गरीबों को श्रद्धानुसार भोजन कराकर दान देने का विधान है।
रामचरितमानस का पाठ करने वाले विद्वान मनीषी को भोजन कराकर नए वस्त्र, धन, अन्न, फल आदि का दान दें। पाठ का श्रवण करने वाले श्रद्धालुओं को बूंदी का प्रसाद वितरित किया जाता है।