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संसार

संसार में दो प्रकार के व्यक्ति होते हैं,

एक वे जो इस संसार के दुखों से बच कर जीवन आनंद की ओर लौटना चाहते हैं,

दूसरे वे जो इस संसार में रमे हुये हैं. रमे हुये व्यक्ति भी दो प्रकार के होते हैं,

एक वे जो संसार से प्रभावित हो कर संसार के बिषय एवं वस्तुओं की ओर दौड़ रहे हैं,

दूसरे वे जो संसार पर अपना प्रभाव जमाये हुये हैं और उन्हें यह भ्रम है कि संसार पर उनकी पकड़ है जबकि है उल्टा क्योंकि वास्तव में संसार की पकड़ उन पर होती है और वे इतने भ्रमित होते हैं कि चाह कर भी संसार की आसक्ति को छोड़ कर वापस जीवन आनंद की ओर लौट नहीं सकते और पूरा जीवन संसार के दुखों में उलझकर निकाल देते हैं, ऐसे ही व्यक्ति संसार में सबसे ज्यादा हैं.

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