श्री विंध्यवासिनी माता स्तोत्रम
ध्यानः नंद गोप गृहे जाता यशोदा गर्भसम्भवा|
ततस्तो नाश यष्यामि विंध्याचल निवासिनी ||
||श्री विंध्यवासिनी माता स्तोत्रम||
निशुम्भशुम्भमर्दिनी, प्रचंडमुंडखंडनीम |
वने रणे प्रकाशिनीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||१||
त्रिशुलमुंडधारिणीं, धराविघातहारणीम |
गृहे गृहे निवासिनीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||२||
दरिद्रदु:खहारिणीं, संता विभूतिकारिणीम |
वियोगशोकहारणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||३||
लसत्सुलोललोचनां, लता सदे वरप्रदाम |
कपालशूलधारिणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||४||
करे मुदागदाधरीं, शिवा शिवप्रदायिनीम |
वरां वराननां शुभां, भजामि विंध्यवासिनीम ||५||
ऋषीन्द्रजामिनींप्रदा,त्रिधास्वरुपधारिणींम |
जले थले निवासिणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||६||
विशिष्टसृष्टिकारिणीं, विशालरुपधारिणीम |
महोदरे विलासिनीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||७||
पुरंदरादिसेवितां, मुरादिवंशखण्डनीम |
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||८||