संकट नाशन गणेश स्तोत्र Sankat Nashan Ganesh Stotra benefits in hindi

Sankat Nashan Ganesh Stotra benefits in hindi

ज्ञान का संवर्धन और बुद्धि को तीव्र करने के लिए गणपति स्तोत्र का पाठ किया जाता है | यह स्तोत्र ८ श्लोकों का बहोतही छोटा स्तोत्र है | १२ साल उम्र के नीचे वाले छोटे बच्चों ने हर साल कम से कम इक्कीस सौ (२१००) पाठ करने चाहिए | इससे उनकी बुद्धि तीव्र होकर उनको उनके अपेक्षा से ज्यादा यश मिलता है | अपेक्षा रहित बुद्धि से सतत इस स्तोत्र का पाठ मन ही मन में करने से गणेश भगवान का दर्शन होता है | और मूलाधार चक्र भी जागृत होता है | भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, विद्यादाता हैं, धन-संपत्ति देने वाले हैं. इस तरह गौरीपुत्र गणपति जीवन की हर परेशानी को दूर करने वाले हैं. उनकी उपासना करने से आपके सभी संकट मिट जाएंगे. अमीर बनने की चाह रखने वाले हर मनुष्य को अपार धन की प्राप्ति हेतु श्रीगणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे ‘संकटनाशन गणेश स्तोत्र’ का पाठ 11 बार करना चाहिए।  

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्र विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यायुष्कामार्थसिद्धये ॥१॥
Prannamya Shirasaa Devam Gauri-Putra Vinaayakam |
Bhaktaavaasam Smaret-Nitya-aayuh-Kaamaartha-Siddhaye ||1||

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥२॥
Prathamam Vakratundm Cha Ekadantam Dvitiyakam |
Trutiyam Krushna-Pingaaksham Gajavaktram Chaturthakam ||2||

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥३॥
Lambodaram Panchamam Cha Shashtham Vikatmev Cha |
Saptamam Vighnaraajam Cha Dhumravarna Tath ashtamam ||3||

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥४॥
Navamam Bhaalachandram Cha Dashamam Tu Vinaayakam |
Ekaadasham Gannapatim Dvaadasham Tu Gajaananam ||4||

द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिश्च जायते ॥५॥
Dvaadashaitaani Naamaani Tri-Sandhyam Yah Pathet-Narah |
Na Cha Vighna-Bhayam Tasya Sarva-Siddhishcha Jaayate ||5||

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥६॥
Vidyaarthi Labhate Vidyaam Dhanaarthi Labhate Dhanam |
Putraarthi Labhate Putraan-Moksharthi Labhate Gatim ||6||

जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥७॥
Japet Ganapati-Stotram Shadbhir-Maasai Phalam Labhet |
Samvatsaren Siddhim Cha Labhate Naatra Samshayah ||7||

संकट नाशन गणेश स्तोत्र म् महत्व | Importance of Sankat Nashan Ganesha Stotram

इस स्त्रोत में नारद जी, श्री गणेश जी के अर्थ स्वरुप का प्रतिपादन करते हैं. नारद जी कहते हैं कि सभी भक्त पार्वती नन्दन श्री गणेशजी को सिर झुकाकर प्रणाम करें और फिर अपनी आयु , कामना और अर्थ की सिद्धि के लिये इनका नित्यप्रति स्मरण करना चाहिए.

श्री गणपति जी के सर्वप्रथम वक्रतुण्ड, एकदन्त, कृष्ण पिंगाक्ष, गजवक्र, लम्बोदरं, छठा विकट, विघ्नराजेन्द्र, धूम्रवर्ण, भालचन्द्र, विनायक, गणपति तथा बारहवें स्वरुप नाम गजानन का स्मरण करना चाहिए. क्योंकि इन बारह नामों का जो मनुष्य प्रातः, मध्यान्ह और सांयकाल में पाठ करता है उसे किसी प्रकार के विध्न का भय नहीं रहता, श्री गणपति जी के इस प्रकार का स्मरण सब सिद्धियाँ प्रदान करने वाला होता है.

इससे विद्या चाहने वाले को विद्या, धना की कामना रखने वाले को धन, पुत्र की इच्छा रखने वाले को पुत्र तथा मौक्ष की इच्छा रखने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस गणपति स्तोत्र का जप छहः मास में इच्छित फल प्रदान करने वाला होता है तथा एक वर्ष में पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो सकती है इस प्रकार जो व्यक्ति इस स्त्रोत को लिखकर आठ ब्राह्मणों को समर्पण करता है, गणेश जी की कृपा से उसे सब प्रकार की विद्या प्राप्त होती है.

गणेश कुबेर मंत्र

ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
यदि व्यक्ति पर अत्यन्त भारी कर्जा हो जाए, आर्थिक परेशानियां आए-दिन दुखी करने लगे। तब गणेशजी की पूजा करने के बाद गणेश कुबेर मंत्र का नियमित रूप से जाप क रने से व्यक्ति का कर्जा चुकना शुरू हो जाता है तथा धन के नए स्त्रोत प्राप्त होते हैं जिनसे व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है।

तांत्रिक गणेश मंत्र

ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति। मेरे कर दूर क्लेश।।
यूं तो यह एक तांत्रिक मंत्र है जिसकी साधना में कुछ खास चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। परन्तु रोज सुबह महादेवजी, पार्वतीजी तथा गणेशजी की पूजा करने के बाद इस मंत्र का 108 बार जाप करने व्यक्ति के समस्त सुख-दुख तुरंत खत्म होते हैं। लेकिन इस मंत्र के प्रयोग के समय व्यक्ति को पूर्ण सात्विकता रखनी होती है और क्रोध, मांस, मदिरा, परस्त्री से संबंधों से दूर रहना होता है।

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।
यह गणेश गायत्री मंत्र है। इस मंत्र का प्रतिदिन शांत मन से 108 बार जप करने से गणेशजी की कृपा होती है। लगातार 11 दिन तक गणेश गायत्री मंत्र के जप से व्यक्ति के पूर्व कर्मो का बुरा फल खत्म होने लगता है और भाग्य उसके साथ हो जाता है।

 

 

 

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