तीन तलाक से मुक्ति पाने के लिए बनारस की मुस्लिम महिलाओं ने बुधवार को हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ
तीन तलाक से लड़ने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ
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तीन तलाक से लड़ने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ
तीन तलाक से मुक्ति पाने के लिए बनारस की मुस्लिम महिलाओं ने बुधवार को हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया। इसका आयोजन पतालपुरी मठ में किया गया। देखिए तस्वीरें…
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गुरुवार को सुनवाई
तीन तलाक मसले पर सुप्रीम कोर्ट में 11 मई से लगातार सुनवाई होनी है। इससे पहले धर्म नगरी काशी में बुधवार को मुस्लिम महिलाओं ने जीवन के सबसे बड़े संकट तीन तलाक से हमेशा के लिए मुक्ति पाने को बजरंग बली के दरबार में गुहार लगाई। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की अगुवाई में पतालपुरी मठ में करीब 50 मुस्लिम महिलाओं ने दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में आरती उतारकर 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया। इस मौके पर मठ के महंत बालक दास, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार, जिला प्रचारक ओमप्रकाश आदि मौजूद रहे।
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10 मई है खास
देश के इतिहास के पन्नों में 10 मई का दिन बेहद खास है। अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के लिए स्वतंत्रता आंदोलन की शरुआत 10 मई 1857 को हुई थी। इस घटना के ठीक 160 साल बाद इसी दिन मुस्लिम महिलाओं के बजरंग बली का पूजन करने को तीन तलाक और हलाला जैसी सामाजिक कुप्रथाओं के खिलाफ सामाजिक क्रांति की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
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सामूहिक पाठ
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदर नाजनीत अंसारी का कहना है कि जिस तरह प्रभु श्रीराम के जीवन में आए संकट को हनुमान ने दूर किया, उसी तरह मुस्लिम बहनों का संकट भी अब दूर होगा। हनुमान जी तीन तलाक से मुक्ति दिलाएंगे। सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम महिलाओं की तकलीफ और दुर्दशा को समझ रहा है। हलाला जैसी कुप्रथा को मानवीय अत्याचार की चरम सीमा बताया। कहा कि इसे कानूनन बलात्कार घोषित किया जाना चाहिए।
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पीड़ितों के लिए भवन बने
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिला भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने केंद्र सरकार से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए अलग भवन बनाने की मांग की है। कहा कि सरकार तलाकशुदा बहनों के पुर्नवास और उनके बच्चों के पढ़ने-लिखने की व्यवस्था कर तकलीफों को दूर करने का प्रयास करे। पतालपुरी मठ के महंत बालक दास ने कहा कि सभ्य समाज में मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार अशोभनीय है। धर्म का काम विपत्ति में रास्ता दिखाना है न कि शोषण करना।