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पैरालिसिस या लकवे की बीमारी
पैरालिसिस यानि कि लकवे की बीमारी आजकल काफी सुनने को मिलती है। किसी की पूरी बॉडी पैरालिसिस का शिकार हो जाती है तो किसी की आधी बॉडी इस बीमारी के चपेट में आ जाती है। कुछ लोगों के शरीर के किसी विशेष अंग को भी पैरालिसिस हो जाता है। लेकिन ये पैरालिसिस क्या है और इसके होने के क्या कारण हैं, क्या आपने कभी जाना है?
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क्या है कारण?
दरअसल मस्तिष्क की धमनी में किसी रुकावट के कारण उसके जिस भाग को खून नहीं मिल पाता है, मस्तिष्क का वह भाग निष्क्रिय हो जाता है। अब यह तो सभी जानते हैं कि हमारे मस्तिष्क की इंद्रियां हमारे शरीर के हर अंग को संचालित करती हैं। वे विविध अंगों से जुड़ी होती हैं, उन्हें कंट्रोल करती हैं।
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मस्तिष्क में चोट
तो इसका मतलब यह हुआ कि यदि दिमाग का कोई भाग प्रभावित हो जाए, तो वह भाग शरीर के जिन अंगों से जुड़ा होता है, उन्हें काम करने के लिए अपना आदेश नहीं भेज पाता है। इसी कारण से वे अंग हिलडुल नहीं सकते, जिस कारण जन्म लेती है लकवे की बीमारी।
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ऐसे होते हैं शारीरिक अंग संचालित
आपको बता दें कि हमारे मस्तिष्क का बायां भाग शरीर के दाएं अंगों पर तथा मस्तिष्क का दायां भाग शरीर के बाएं अंगों पर नियंत्रण रखता है। मस्तिष्क के अलावा यदि व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में कोई दिक्कत आए, तब भी पैरालिसिस का खतरा बना रहता है। क्योंकि इसी रीढ़ की हड्डी की इंद्रियां मस्तिष्क तक जाती हैं। विज्ञान की भाषा में रीढ़ की हड्डी में छोटा दिमाग होने का भी दावा किया जाता है।
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रोग का कारण
लकवे के रोग का कारण तो साफ है, लेकिन इसके कई प्रकार भी होते हैं। विशेष तौर पर डॉक्टरों ने लकवे के रोग के 9 प्रकार देखे हैं। जिसमें से पहला है निम्नांग का लकवा, यानि कि शरीर के नीच के भागों का लकवा। इस रोग में रोग में रोगी के शरीर के नीचे का भाग अर्थात कमर से नीचे का भाग काम करना बंद कर देता है। इस रोग के कारण रोगी के पैर तथा पैरों की अंगुलियां अपना कार्य करना बंद कर देती हैं।
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लकवे के रोग के प्रकार
दूसरा है अर्द्धांग का लकवा, जिसमें शरीर का आधा भाग कार्य करना बंद कर देता है अर्थात शरीर का दायां या बायां भाग कार्य करना बंद कर देता है। डॉक्टर बताते हैं कि बीते कुछ समय में इस प्रकार के लकवे के मामले काफी बढ़ गए हैं।
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एकांग का लकवा
तीसरा है एकांग का लकवा, जिसमें शरीर का केवल एक हाथ या एक पैर अपना कार्य करना बंद कर देता है। जब तक यह अंग दिमाग के जिस भाग से जुड़े हैं वह ठीक नहीं हो जाता, तब तक यह अंग काम नहीं करता।
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मुखमंडल का लकवा
लकवे का चौथा प्रकार है पूर्णांग का लकवा, इसमें ज्यादातर मामले दोनों हाथ के लकवे या दोनों पैर के लकवा हो जाने के सुनाई देते हैं। इसके बाद पांचवें प्रकार का लकवा है मुखमंडल का लकवा हो जाना, जिसमें रोगी के मुंह का एक भाग टेढ़ा हो जाता है जिसके कारण मुंह का एक ओर का कोना नीचे दिखने लगता है और एक तरफ का गाल ढीला हो जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी के मुंह से अपने आप ही थूक गिरता रहता है।
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मेरूमज्जा लकवा
इसके बाद छठे प्रकार का लकवा है मेरूमज्जा-प्रदाहजन्य लकवा। यह काफी समस्या उत्पन्न करता है। इस प्रकार के पैरालिसिस में शरीर का मेरूमज्जा भाग कार्य करना बंद कर देता है। यह रोग अधिक सेक्स क्रिया करके वीर्य को नष्ट करने के कारण होता है।
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जीभ का लकवा
अगला है जीभ का लकवा, जो इस श्रेणी में सातवें नंबर पर है। इस प्रकार के लकवे के कारण रोगी की जीभ में लकवा मार जाता है और रोगी के मुंह से शब्दों का उच्चारण सही तरह से नहीं निकलता है। क्योंकि इस रोग के कारण रोगी की जीभ अकड़ जाती है और रोगी व्यक्ति को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा रोगी बोलते समय तुतलाने लगता है।
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स्वरयंत्र का लकवा
इसके बाद आठवें प्रकार का लकवा है स्वरयंत्र का लकवा। जी हां… नाम से ही आप समझ गए होंगे कि यह लकवा बोलने की क्षमता को प्रभावित करता है। इस प्रकार के लकवे के रोग के कारण रोगी के गले के अन्दर के स्वर यंत्र में लकवा मार जाता है, परिणाम स्वरूप रोगी व्यक्ति की बोलने की शक्ति या तो काफी प्रभावित हो जाती है या पूर्ण रूप से नष्ट ही हो जाती है।
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सीसाजन्य लकवा
आखिरी है सीसाजन्य लकवा, जिसके कारण रोगी के मसूढ़ों के किनारे पर एक नीली लकीर पड़ जाती है। रोगी का दाहिना हाथ या फिर दोनों हाथ नीचे की ओर लटक जाते हैं। इतना ही नहीं रोगी की कलाई की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। कई बार तो रोगी की कलाई टेढ़ी भी हो जाती है और अन्दर की ओर मुड़ जाती है। इस लकवे के कारण रोगी की बांह और पीठ की मांसपेशियां भी रोगग्रस्त हो जाती हैं।
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कैसे होता है
लकवा रोग क्या है और इसके प्रकार क्या हैं, इसे जानने के बाद एक सवाल उत्पन्न होता है कि आखिर यह रोग क्यों होता है। साइंस की भाषा में यह रोग मस्तिष्क के तंत्रिका तंत्र के अचानक नष्ट हो जाने की वजह से होता है। इस दुर्घटना में मस्तिष्क के जिस भाग को चोट पहुंचती है, उससे संबंधित अंग काम करना बंद कर देते हैं। लेकिन इसके अलावा क्या कोई अन्य कारण भी है?
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स्ट्रेस
दरअसल कई बार अधिक टेंशन लेने से या अचानक कोई सदमा लगने से भी व्यक्ति पैरालिसिस का शिकार हो जाता है। क्योंकि जब अचानक कोई बड़ी घटना हो जाए, तो दिमाग पर इसका असर हो जाता है जिसकी वजह से तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है।
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गलत आहार
इसके अलावा गलत तरीके के भोजन का सेवन करने के कारण लकवा रोग हो जाता है। कोई अनुचित सेक्स संबन्धी कार्य करके वीर्य अधिक नष्ट करने के कारण से भी लकवा रोग हो जाता है। इसलिए इस प्रकार की बातों पर भी हमें ध्यान देना चाहिए।
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रीढ़ की हड्डी में चोट
डॉक्टरों की राय में मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी में बहुत तेज चोट लग जाने के कारण लकवा रोग हो सकता है। इसके अलावा दिमाग से सम्बंधित अनेक बीमारियों के हो जाने के कारण भी लकवा रोग हो सकता है।
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नशा करने वाले लोग
जो लोग नशीली चीजों का सेवन करते हैं, वे भी लकवा होने का शिकार हो सकते हैं। इसके साथ ही यदि कोई व्यक्ति अत्यधिक नशीली दवाइयों का सेवन कर रहा है, तो उसे भी यह रोग जकड़ सकता है। इसके अलावा शराब तथा धूम्रपान का अत्यधिक सेवन करना तो लकवा होने का कारण बन ही सकता है।
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समाधान जानिए
लेकिन इसका क्या समाधान है? क्या लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करके ही इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। कई बार तो लकवा की बीमारी इतनी गंभीर हो जाती है, कि डॉक्टर इसका कोई भी इलाज ढूंढ़ने में असमर्थ हो जाते हैं। और अंत में केवल दवाओं के सहारे रोगी को ताउम्र जिंदा रखते हैं।
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प्राकृतिक तरीका
लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि प्राकृतिक रूप से लकवा जैसी बीमारी का इलाज संभव है। प्राकृतिक चिकित्सा से हर प्रकार के लकवा रोग का उपचार पाया जा सकता है। केवल जरूरत है तो एक-एक करके इस रोग के कारण और उपचार को समझने की।
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पहचानें कारण
प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सबसे पहले हमें रोगी के लकवा हो जाने का कारण ढूंढना चाहिए। यानि कि हो सकता है कि किसी बड़े सदमे के कारण या फिर चोट लगने से उसे लकवा हुआ हो। तो उस कारण को दूर करने की कोशिश की जा सकती है। इससे काफी हद तक बीमारी दूर करने की यह जंग जीत ली जा सकती है।
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नींबू पानी का एनिमा
लकवा रोग को दूर करने का एक और इलाज मौजूद है, जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। इसके अनुसार पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नींबू पानी का एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को ऐसा इलाज कराना चाहिए जिससे कि उसके शरीर से अधिक से अधिक पसीना निकले। क्योंकि पसीना इस रोग को काटने में सहायक होता है।
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भापस्नान
एक अन्य उपाय के अनुसार लकवा रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन भापस्नान करना चाहिए। स्नान के बाद उसे गर्म गीली चादर से अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग को, यानि कि जिस भाग को लकवा हुआ है केवल उसी भाग को ढकना चाहिए। यह करने के बाद अंत में कुछ देर के बाद उसे धूप में बैठना चाहिए। उसके रोगग्रस्त भाग पर धूप पड़ना बेहद जरूरी है।
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गर्म चीजों का सेवन
लकवा रोग से पीड़ित रोगी यदि बहुत अधिक कमजोर हो तो रोगी को गर्म चीजों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। इससे उसे रोग से लड़ने की शक्ति मिलेगी। लेकिन पैरालिसिस के जिन रोगियों को उच्च रक्तचाप की समस्या है, वे गर्म चीजों से पूरी तरह से परहेज करें।
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रीढ़ की हड्डी को सही रखें
लकवा रोग से पीड़ित व्यक्ति को अपनी रीढ़ की हड्डी को दुरुस्त बनाए रखने की भी कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि मस्तिष्क की इंद्रियां यहीं से हो गुजरती हैं। यहां रोजाना गर्म या ठंडे पानी से सिकाई करनी चाहिए। जरूरी नहीं है कि गर्म पानी से ही सिकाई हो, यदि रोगी को ठंड़ा पानी सही लगे तो वह उससे भी सिकाई कर सकता है।
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अन्य उपाय
प्राकृतिक चिकित्सा के भीतर एक और उपाय मौजूद है, जिसे लकवा रोग के मामले में रामबाण समझा जा सकता है। यह उपाय मिट्टी के प्रयोग से किया जाता है। आयुर्वेद ने मिट्टी को उत्तम माना है। क्या आप जानते हैं कि यह मिट्टी कैंसर जैसी बीमारियों को भी काटने की सक्षमता रखती है?
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गीली मिट्टी का लेप
लकवा रोग को काटने के लिए लकवा रोग से पीड़ित रोगी के पेट पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए। यदि रोजाना ना हो सके, तो एक दिन छोड़ कर यह उपाय जरूर करना चाहिए। इसके उसके बाद रोगी को कटिस्नान कराना चाहिए। यदि यह इलाज प्रतिदिन किया जाए, तो कुछ ही दिनों में लकवा रोग ठीक हो जाता है।
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एक और उपाय
इसके बाद अगला उपाय थोड़ा अनूठा है, लेकिन अगर सही तरीके से किया जाए तो सफल जरूर होगा। लकवा रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त पीले रंग की बोतल का ठंडा पानी दिन में कम से कम आधा कप 4-5 बार पीना चाहिए तथा लकवे से प्रभावित अंग पर कुछ देर के लिए लाल रंग का प्रकाश डालना चाहिए और उस पर गर्म या ठंडी सिंकाई करनी चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से रोगी का लकवा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
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खानापान का ध्यान रखें
इन उपायों के बाद अगले कुछ उपाय रोगी के खानपान से जुड़े हैं। यदि आगे बताए जा रहे खाद्य पदार्थों को रोगी की रोजाना डायट में जोड़ा जाए, तो उपरोक्त सभी उपाय अपना असर शीघ्र दिखाएंगे।
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फ्रूट जूस
सबसे पहले रोगी को जितना हो सके फलों का रस पिलाएं। कम से कम 10 दिनों तक फलों का रस, नींबू का रस, नारियल पानी, सब्जियों के रस या आंवले के रस में शहद मिलाकर पीना चाहिए। इसका अलावा एक और खास प्रकार का रस है जिसमें अंगूर, नाशपाती तथा सेब के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर रोगी को पिलाना है।
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पका हुआ ना खाएं
इसके अलावा रोगी को क्या नहीं खाना चाहिए यह भी जानना जरूरी है। रोगी को बाहर का तला-भुना खाना नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा जब तक उसका उपचार चल रहा है और इलाज में कोई उन्नति ना दिखी हो, तब तक उसे पका हुआ भोजन बिलकुल ना दें।
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स्ट्रेस ना लें
एक और आखिरी बात… लकवे रोग के कारण मस्तिष्क का चाहे कोई भी भाग नष्ट हुआ हो, भले ही पूर्ण मस्तिष्क नष्ट ना हुआ हो, लेकिन रोग के बढ़ने की संभावना बनी रहती है। इसलिए उपचार के दौरान रोगी के दिमाग को किसी प्रकार की कोई चोट ना पहुंचे, इस बात का खास ख्याल रखा जाना चाहिए।
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नहीं तो उपाय काम नहीं करेंगे
रोगी को किसी प्रकार का कोई मानसिक तनाव ना होने पाए, यह भी ध्यान रखें। यदि वह मानसिक रूप से स्वस्थ होगा, तो जल्द ही उसके ठीक होने की संभावना बनेगी। नहीं तो उपरोक्त बताए सही उपाय एक के बाद एक असफल होते चले जाएंगे।