प्रचीन काल या मध्यकाल में राखियां जैसी होती थीं आजकल वैसी नहीं होती। अब तो राखी को स्वरूप बहुत बदल गया है। राखी का स्वरूप ही नहीं बदला बल्कि पहले राखी को राखी नहीं कहा जाता था। मतलब यह कि नाम के साथ ही स्वरूप भी बदला है। इस बार राखी का मार्केट भी ट्रेंडी लुक में नजर आ रहा है। हर डिजाइन की राखी बड़े स्टाइलिश तरीके से सजाई गई है। आओ जानते हैं रोचक जानकारी।
बदल गया नाम :
- राखी को पहले रक्षा सूत्र कहते थे।
- कलावा या मौली भी कहा जाता था।
- यह रक्षा सूत्र ही राखी में बदल गया।
- रक्षा सूत्र को बोलचाल की भाषा में राखी कहा जाता है जो वेद के संस्कृत शब्द ‘रक्षिका’ का अपभ्रंश है।
- मध्यकाल में इसे राखी कहा जाने लगा।
- राखी को राक्ष कहने के पूर्व पहले इसे श्रावणी या सलूनो भी कहते थे।
- इसी तरह प्रत्येक प्रांत में इसे अलग अलग नामों से जाना जाने लगा है।
- दक्षिण में नारियय पूर्णिमा, बलेव और अवनि अवित्तम, राजस्थान में रामराखी और चूड़ाराखी या लूंबा कहते हैं।
बदल गया स्वरूप :
- भाई-बहन के इस पवित्र त्योहार को प्रचीनकाल में अलग रूप में मनाया जाता था।
- पहले सूत का धागा होता था, फिर नाड़ा बांधने लगे।
- फिर नाड़े जैसा एक फुंदा बांधने का प्रचलन हुआ
- बाद में पक्के धागे पर फोम से सुंदर फुलों को बनाकर चिपकाया जाने लगा जो राखी कहलाने लगी।
- वर्तमान में तो राखी के कई रूप हो चले हैं।
- राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चांदी जैसी मंहगी वस्तु तक की हो सकती है।
- राजस्थान, निमाड़ या मालवा में रामराखी और चूड़ाराखी या लूंबा बांधने का रिवाज है। रामराखी इसमें लाल डोरे पर एक पीले छींटों वाला फुंदना लगा होता है।
- अब तो मार्केट में राखियों की खूब वैरायटी देखने को मिल रही है, जो स्वदेशी हैं। इस बार बाजार में कुंदन राखी, मीनाकारी राखी, एडी अमेरिकन राखी, पोलकी राखी देखने को मिल रही है। इनकी सजावट रेशमी धागे के साथ भी की गई है और इन पर बीड्स का भी इस्तेमाल किया गया है।
- ब्रेसलेट स्टाइल भी हर साल की तरह इस बार भी बरकरार है।
- भाभियों के लिए जयपुरी लूंबा राखी भी इस बार मार्केट में आई है।
- बच्चों के लिए पिछले साल की तरह इस साल भी चाइनीज राखी ज्यादा चल रही है। इनमें विभिन्न कार्टून कैरेक्टर वाली राखियां होती हैं। खास बात यह है कि यह सभी लाइट्स वाली हैं।
- इस बार राखी के त्योहार के लिए ज्वैलरी शॉप पर लाइट वेट ज्वैलरी तैयार की जा रही है। सोने व चांदी में स्वास्तिक, ओम लिख राखियां भी तैयार करवायी जा रही हैं।