13 अगस्त 2021 को है नागपंचमी, जानिए 40 रोचक तथ्य
नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा प्रधान रूप से की जाती है। कुछ प्रदेशों में चैत्र व भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन भी नाग पंचमी मनाई जाती है। इस बार अंग्रेजी माह के अनुसार 13 अगस्त 2021 शुक्रवार को शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी का त्योहार रहेगा। आओ जानते हैं नागों के बारे में 40 रोचक तथ्य।
- ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इस दिन अष्ट नागों की पूजा प्रधान रूप से की जाती है।
- अष्टनागों के नाम है- अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख। भारत में उपरोक्त आठों के कुल का ही क्रमश: विस्तार हुआ जिनमें निम्न नागवंशी रहे हैं- नल, कवर्धा, फणि-नाग, भोगिन, सदाचंद्र, धनधर्मा, भूतनंदि, शिशुनंदि या यशनंदि तनक, तुश्त, ऐरावत, धृतराष्ट्र, अहि, मणिभद्र, अलापत्र, कम्बल, अंशतर, धनंजय, कालिया, सौंफू, दौद्धिया, काली, तखतू, धूमल, फाहल, काना, गुलिका, सरकोटा इत्यादी नाम के नाग वंश हैं।
- नाग देवों की माता का नाम कद्रू है और पिता का नाम कश्यप।
- नाग देवों की बहन मां मनसा देवी है।
- शिवजी के गले में वासुकि नामक नाग लिपटा रहता है।
- भगवान विष्णुजी शेषनाग की शैय्या पर सोते हैं।
- खांडववन में जब आग लगाई थी तो अश्वसेन नामक का नाग बच गया था जो अर्जुन से बदला लेना चाहता था।
- वास्तु के अनुसार मकान की नींव में चांदी या तांबें का नाग रखा जाता है।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों के पास नागमणि रहती है।
- राजा परीक्षित तो जब तक्षक नाग ने डंस लिया था तो उनके मरने के बाद उनके पुत्र जनमेजय ने नागयज्ञ करने सभी नागों को मार दिया था जिसमें वासुकि, तक्षक और कर्कोटक नामक नाग बच गए थे। वासुकि और तक्षक को इंद्र ने बचाया तो कर्कोटक उज्जैन में महाकाल की शरण में रहकर बच गए
थे। - नाग और सर्प में फर्क है। सभी नाग कद्रू के पुत्र थे जबकि सर्प क्रोधवशा के। कश्यप की क्रोधवशा नामक रानी ने सांप या सर्प, बिच्छु आदि विषैले जन्तु पैदा किए।
- अग्निपुराण में 80 प्रकार के नाग कुलों का वर्णन है, जिसमें वासुकी, तक्षक, पद्म, महापद्म प्रसिद्ध हैं। जिस तरह सूर्यवंशी, चंद्रवंशी और अग्निवंशी माने गए हैं उसी तरह नागवंशियों की भी प्राचीन परंपरा रही है। महाभारत काल में पूरे भारत वर्ष में नागा जातियों के समूह फैले हुए थे। अथर्ववेद में कुछ नागों के नामों का उल्लेख मिलता है। ये नाग हैं श्वित्र, स्वज, पृदाक, कल्माष, ग्रीव और तिरिचराजी नागों में चित कोबरा (पृश्चि), काला फणियर (करैत), घास के रंग का (उपतृण्य), पीला (ब्रम), असिता रंगरहित (अलीक), दासी, दुहित, असति, तगात, अमोक और तवस्तु आदि।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार पाताल लोक में कहीं एक जगह नागलोक था, जहां मानव आकृति में नाग रहते थे। कहते हैं कि 7 तरह के पाताल में से एक महातल में ही नागलोक बसा था, जहां कश्यप की पत्नी कद्रू और क्रोधवशा से उत्पन्न हुए अनेक सिरों वाले नाग और सर्पों का एक समुदाय रहता था। उनमें कहुक, तक्षक, कालिया और सुषेण आदि प्रधान नाग थे।
- जैन, बौद्ध देवताओं के सिर पर भी शेष छत्र होता है।
- कुंती पुत्र अर्जुन ने पाताल लोक की एक नागकन्या से विवाह किया था जिसका नाम उलूपी था। वह विधवा थी।
- भारत के कई शहर और गांव ‘नाग’ शब्द पर आधारित हैं। मान्यता है कि महाराष्ट्र का नागपुर शहर सर्वप्रथम नागवंशियों ने ही बसाया था।
- नाग से संबंधित कई बातें आज भारतीय संस्कृति, धर्म और परम्परा का हिस्सा बन गई हैं, जैसे नाग देवता, नागलोक, नागराजा-नागरानी, नाग मंदिर, नागवंश, नाग कथा, नाग पूजा, नागोत्सव, नाग नृत्य-नाटय, नाग मंत्र, नाग व्रत और अब नाग कॉमिक्स।
- इच्छाधारी नाग होते हैं, जो रूप बदल सकते हैं।
- नाग-नागिन बदला लेते हैं। नाग और सर्प में फर्क होता है।
- कुछ दुर्लभ नागों के सिर पर मणि होती हैं।
- नागों की स्मरण शक्ति तेज होती है।
- सौ वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद नागों में उड़ने की शक्ति हासिल हो जाती है।
- सौ वर्ष की उम्र के बाद नागों में दाढ़ी-मूंछ निकल आती है।
- नाग किसी के भी शरीर में आ सकते हैं।
- नाग कन्याएं होती हैं जो नागलोक में रहती हैं।
- अजगर तो कई होते हैं लेकिन नाग प्रजाति का अजगर दूर से ही किसी को अपनी नाक से खींचने की ताकत रखता है।
- नाग खुद का बिल नहीं बनाता, वह चूहों के बिल में रहता है।
- नाग जमीन के अंदर गढ़े धन की रक्षा करता है। इसे नाग चौकी कहा जाता है।
- नागों में मनुष्य को सम्मोहित कर देने की शक्ति होती है।
- नाग संगीत सुनकर झूमने लगते हैं।
- नाग को मारना या नागों की लड़ाई देखना पाप है।
- नाग की केंचुल दरवाजे के ऊपर रखने से घर को नजर नहीं लगती।
- बड़े सांप, नाग आदि शिव का अवतार माने जाते हैं।
- कुछ नाग पांव वाले होते हैं।
- नाग एक मुंह ही नहीं दोमुहे या 10 मुंह वाले भी होते हैं।
- नाग रूप में देवता ही होते हैं जो इस धरती के सभी प्राणियों से कई गुना अपनी समझ रखते हैं।
- नागों को ही सबसे पहले भूकंप, प्रलय या अन्य किसी प्राकृतिक आपता का पता चल जाता है।
- कुंडली में कालसर्पदोष को नागदोष नहीं करते हैं यह राहु और केतु के कारण होता है।
- सर्पधर नामक एक राशि होती है जिसे अंग्रेजी में ओफियुकस कहते हैं। समद्री नाग नामक भी एक राशि होती है जिसे अंग्रेजी में हाइड्रा कहते हैं।
- लक्ष्मणजी और बलरामजी शेषनाग के अवतार थे। शेषनाग के और भी कई अवतार हुए हैं।