माँ दुर्गा चालीसा पाठ करने से 8 फायदे
The benefits of reciting Durga Chalisa that you provided:
- Mental peace: Reciting Durga Chalisa brings peace and positive thoughts to the mind. This frees the person from stress and anxiety.
- Victory over enemies: Reciting Durga Chalisa gives the person the power to defeat their enemies.
- Increased self-confidence: Reciting Durga Chalisa increases a person’s self-confidence. This helps the person achieve success in all their endeavors.
- Protection from evil forces: Reciting Durga Chalisa protects the person from evil forces.
- Financial benefits: Reciting Durga Chalisa brings financial benefits to the person.
- The power to fight against sorrows: Reciting Durga Chalisa gives the person the power to fight against the sorrows that come in life.
- Recovering lost respect and property: Reciting Durga Chalisa helps the person to recover lost respect and property.
- Removing feelings of despair: Reciting Durga Chalisa removes feelings of despair from the mind.
- Curing incurable diseases: Reciting Durga Chalisa can even cure incurable diseases.
- Regaining lost social status: Reciting Durga Chalisa can help regain lost social status.
माँ दुर्गा की पूजा चालीसा के बिना अधूरी मानी जाती है। नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं से मुक्ति, इच्छा पूर्ति सहित अनेक मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि या किसी भी अन्य शुभ अवसर पर माँ दुर्गा की स्तुति के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ करना उत्तम माना गया है। वहीं व्रत करने वाले भक्त रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं। आइए जानते हैं दुर्गा चालीसा पाठ करने के कुछ प्रमुख फायदे:
- आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक खुशी: नवरात्र या किसी भी शुभ अवसर पर दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक खुशी मिलती है। इससे मन शांत होता है, नकारात्मक विचारों से दूरी बनती है, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- मन को शांत करने में मदद: अगर आप अपने मन को शांत करना चाहते हैं तो रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करें। बड़े-बड़े ऋषि भी मां दुर्गा चालीसा का पाठ करते थे, ताकी अपने मन को शांत रख सकें।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आप के शरीर में सकारात्मक उर्जा का संचार होगा। इसके साथ ही दुश्मनों से निपटने और उन्हें हराने की क्षमता भी विकसित होती है।
- परिवार की रक्षा: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आप अपने परिवार को वित्तीय नुकसान, संकट और अलग-अलग प्रकार के दुखों से बचा सकते हैं।
- मानसिक शक्ति का विकास: इसके अलावा इससे आप जुनून, निराशा, आशा, वासना और अन्य जैसे भावनाओं का सामना करने के लिए मानसिक शक्ति भी विकसित कर सकते हैं।
- खोई हुई सामाजिक स्थिति को पुनः स्थापित करना: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपके द्वारा खोई गई सामाजिक स्थिति को एक फिर से स्थापित कर सकते हैं।
- नकारात्मक विचारों से दूरी: कहते हैं मां दुर्गा की मन से पूजा करने से नकारात्मक विचारों से दूर रहेंगे।
- धन, ज्ञान और समृद्धि का वरदान: भक्त की श्रद्धा से खुश होकर माँ दुर्गा धन, ज्ञान और समृद्धि का वरदान देती हैं।
दुर्गा चालीसा पाठ करने की विधि
दुर्गा चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे पहले किसी साफ स्थान पर आसन बिछा लें। फिर, माँ दुर्गा की प्रतिमा के सामने खड़े होकर, हाथों में जल, फूल और माला लेकर, दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें और माँ दुर्गा से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें।
दुर्गा चालीसा पाठ करने के नियम
दुर्गा चालीसा का पाठ करने के कुछ नियम निम्नलिखित हैं:
- दुर्गा चालीसा का पाठ हमेशा सुबह जल्दी या शाम को करें।
- पाठ करते समय साफ और पवित्र कपड़े पहनें।
- पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें और किसी भी प्रकार की नकारात्मक बातों के बारे में न सोचें।
- पाठ करते समय माँ दुर्गा की प्रतिमा के सामने बैठकर या खड़े होकर पाठ करें।
- पाठ करते समय माला का प्रयोग करें।
- पाठ करते समय माँ दुर्गा को फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
निष्कर्ष
माँ दुर्गा की पूजा चालीसा के बिना अधूरी मानी जाती है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ मिलते हैं। इसलिए, अगर आप अपने जीवन में खुशहाली और सफलता चाहते हैं तो रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ मिलते हैं। यह एक ऐसा पाठ है जो व्यक्ति को आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक रूप से लाभ पहुंचाता है।
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दुर्गा चालीसा में मां दुर्गा के नौ रूपों की स्तुति की गई है। इन नौ रूपों में मां दुर्गा की शक्ति और दया का वर्णन किया गया है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ मिल सकते हैं:
- मानसिक शांति: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के मन में शांति और सकारात्मक विचार आते हैं। इससे व्यक्ति तनाव और चिंता से मुक्त होता है।
- शत्रुओं पर विजय: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। इससे व्यक्ति अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।
- बुरी शक्तियों से रक्षा: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को बुरी शक्तियों से रक्षा मिलती है।
- आर्थिक लाभ: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
- दुखों से लड़ने की शक्ति: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में आने वाले दुखों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
- खोया हुआ सम्मान और संपत्ति प्राप्ति: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को खोया हुआ सम्मान और संपत्ति प्राप्त होती है।
- निराशा के भाव दूर होना: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मन से निराशा के भाव दूर हो जाते हैं।
- असाध्य रोगों का ठीक होना: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं।
- खोया हुआ सामाजिक सम्मान प्राप्त होना: दुर्गा चालीसा का पाठ करने से खोया हुआ सामाजिक सम्मान एक बार फिर से प्राप्त हो सकता है।
अगर आप अपने जीवन में खुशहाली और सफलता चाहते हैं, तो रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
दुर्गा चालीसा हिंदी में (Durga Chalisa in hindi)
॥ चौपाई ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुःख हरनी।
निराकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥
धरा रूप नरसिंह को अम्बा। प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥
रक्षा कर प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर-खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजे॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावै। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप को मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावे। मोह मदादिक सब विनशावै॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥
जब लगि जियउं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
दुर्गा चालीसा जो नित गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥