
Angarak stotra meaning in hindi –
अंगारकः शक्तिधरो लोहितांगो धरासुतः।
कुमारो मंगलो भौमो महाकायो धनप्रदः ॥१॥
ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृत् रोगनाशनः।
विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ॥२॥
सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः ॥३॥
रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः।
नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत् सततं नरः॥४॥
ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति।
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ॥५॥
वंशोद्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः, योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः।
सर्वं नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ॥६॥
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अंगारक स्तोत्र का हिंदी में अर्थ:
पहला श्लोक:
अंगारकः शक्तिधरो लोहितांगो धरासुतः।
कुमारो मंगलो भौमो महाकायो धनप्रदः ॥१॥
- अंगारक: मंगल ग्रह, जो अंगार (अग्नि) के समान तेजस्वी है।
- शक्तिधर: शक्ति को धारण करने वाला।
- लोहितांग: लाल रंग के शरीर वाला।
- धरासुतः: धरती (पृथ्वी) का पुत्र।
- कुमार: युवा और सुंदर।
- मंगल: शुभ और मंगलकारी।
- भौम: पृथ्वी से संबंधित।
- महाकाय: विशाल शरीर वाला।
- धनप्रद: धन देने वाला।
अर्थ:
मंगल ग्रह अग्नि के समान तेजस्वी, शक्तिशाली, लाल रंग के शरीर वाले, पृथ्वी के पुत्र, युवा, मंगलकारी, विशालकाय और धन देने वाले हैं।
दूसरा श्लोक:
ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृत् रोगनाशनः।
विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ॥२॥
- ऋणहर्ता: ऋण (कर्ज) को दूर करने वाला।
- दृष्टिकर्ता: सब कुछ देखने वाला।
- रोगकृत्: रोग उत्पन्न करने वाला।
- रोगनाशनः: रोगों को नष्ट करने वाला।
- विद्युत्प्रभ: बिजली की तरह चमकने वाला।
- व्रणकर: घाव करने वाला।
- कामद: कामनाओं को पूरा करने वाला।
- धनहृत्: धन को हरण करने वाला।
- कुज: मंगल ग्रह का दूसरा नाम।
अर्थ:
मंगल ग्रह ऋण को दूर करने वाले, सब कुछ देखने वाले, रोग उत्पन्न करने और नष्ट करने वाले, बिजली की तरह चमकने वाले, घाव करने वाले, कामनाओं को पूरा करने वाले और धन को हरण करने वाले हैं।
तीसरा श्लोक:
सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः ॥३॥
- सामगानप्रिय: साम गान (वेद मंत्र) को पसंद करने वाले।
- रक्तवस्त्र: लाल वस्त्र धारण करने वाले।
- रक्तायतेक्षण: लाल आंखों वाले।
- लोहित: लाल रंग के।
- रक्तवर्ण: लाल रंग वाले।
- सर्वकर्मावबोधक: सभी कर्मों को समझने वाले।
अर्थ:
मंगल ग्रह वेद मंत्रों को पसंद करने वाले, लाल वस्त्र धारण करने वाले, लाल आंखों वाले, लाल रंग के और सभी कर्मों को समझने वाले हैं।
चौथा श्लोक:
रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः।
नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत् सततं नरः॥४॥
- रक्तमाल्यधर: लाल फूलों की माला पहनने वाले।
- हेमकुण्डली: सोने के कुंडल धारण करने वाले।
- ग्रहनायक: ग्रहों के नायक।
- नामान्येतानि: ये सभी नाम।
- भौमस्य: मंगल ग्रह के।
- यः पठेत: जो पढ़े।
- सततं नरः: निरंतर मनुष्य।
अर्थ:
मंगल ग्रह लाल फूलों की माला पहनने वाले, सोने के कुंडल धारण करने वाले और ग्रहों के नायक हैं। जो व्यक्ति इन नामों को निरंतर पढ़ता है, उसे लाभ होता है।
पांचवा श्लोक:
ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति।
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ॥५॥
- ऋणं: कर्ज।
- दौर्भाग्यं: दुर्भाग्य।
- दारिद्र्यं: गरीबी।
- विनश्यति: नष्ट हो जाता है।
- धनं: धन।
- विपुलं: अधिक।
- स्त्रियं: स्त्री।
- मनोरमाम्: सुंदर।
अर्थ:
जो व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसका कर्ज, दुर्भाग्य और गरीबी नष्ट हो जाती है। उसे अधिक धन और सुंदर स्त्री की प्राप्ति होती है।
छठा श्लोक:
वंशोद्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः,
योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः।
सर्वं नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ॥६॥
- वंशोद्योतकरं: वंश को उज्ज्वल करने वाला।
- पुत्रं: पुत्र।
- लभते: प्राप्त करता है।
- नात्र संशयः: इसमें कोई संदेह नहीं।
- योऽर्चयेद: जो पूजा करे।
- अह्नि: दिन में।
- भौमस्य: मंगल ग्रह की।
- मङ्गलं: मंगल।
- बहुपुष्पकैः: अनेक फूलों से।
- सर्वं: सभी।
- नश्यति: नष्ट हो जाता है।
- पीडा: कष्ट।
- ग्रहकृता: ग्रहों के कारण।
- ध्रुवम्: निश्चित रूप से।
अर्थ:
जो व्यक्ति मंगल ग्रह की पूजा अनेक फूलों से करता है, उसे वंश को उज्ज्वल करने वाला पुत्र प्राप्त होता है। इसके अलावा, ग्रहों के कारण होने वाले सभी कष्ट निश्चित रूप से नष्ट हो जाते हैं।
स्तोत्र का महत्व:
- यह स्तोत्र मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
- इससे ऋण, दुर्भाग्य और गरीबी दूर होती है।
- धन, सुंदर स्त्री और संतान की प्राप्ति होती है।
- ग्रहों के कारण होने वाले कष्ट दूर होते हैं।