मेंहदीपुर बालाजी की यह 14 बातें जानकर ही जाएं बालाजी के दरबार में
हनुमान चालीसा में एक दोहा है ‘भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे’। इस दोहे का कमाल देखना चाहते हैं तो आप राजस्थान में स्थित मेंहदीपुर बालाजी के दरबार में पहुंचा जाएं। यहां आपको ऐसे विचित्र दृश्य नजर आ सकते हैं जिसे देखकर आप एक बार तो डर ही जाएंगे लेकिन जहां बालाजी हों वहां डरने की क्या बात है। कारण यह है कि मेंहदीपुर बालाजी के दरबार में पहुंचते ही बुरी शक्ति जैसे भूत, प्रेत, पिशाच खुद ही डर से कांपने लगते हैं तो वह आपका क्या बुरा कर सकते हैं।
मेंहदीपुर बालाजी का यही चमत्कार है कि देश-विदेश से भूत, प्रेत और ऊपरी चक्कर से परेशान व्यक्ति यहां आते हैं। यहां एक प्रेतालय बना हुआ है जहां ऊपरी चक्कर से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज किया जाता है। इलाज ऐसा नहीं कि कोई मीठी गोली दे दी और सब ठीक हो गया। जिद्दी प्रेतात्मा को शरीर से मुक्त करने के लिए उसे कठोर से कठोर दंड दिया जाता है। इस उपचार को देख लें तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएं क्योंकि यह इलाज पुलिस की किसी थर्ड डिग्री से कम नहीं होती।
मेंहदीपुर बालाजी के मंदिर में भूत-प्रेत का ईलाज और दूसरी मान्यताओं के बारे में जानने से पहले जरा बालाजी के बारे में कुछ खास बातें जान लीजिए। बालाजी की बायीं छाती में एक छोटा सा छिद्र है। इससे निरंतर जल बहता रहता है। इनके मंदिर में तीन देवता विराजते हैं एक तो स्वयं बालाजी, दूसरे प्रेतराज और तीसरे भैरो जिन्हें कप्तान कहा जाता है।
बालाजी के मंदिर की एक और खास बात यह है कि यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरो को उड़द का प्रसाद चढ़ता है। कहते हैं कि बालाजी के प्रसाद का दो लड्डू खाते ही भूत-प्रेत से पीड़ित व्यक्ति के अंदर मौजूद भूत प्रेत छटपटाने लगता है और अजब-गजब हरकतें करने लगता है।
मेंहदीपुर की यात्रा करने वाले के लिए नियम है कि यहां आने से कम से कम एक सप्ताह पहले लहसुन, प्याज, अण्डा, मांस, शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए।
आमतौर पर तीर्थ स्थान से लोग प्रसाद लेकर घर आते हैं लेकिन मेंहदीपुर से भूलकर भी प्रसाद लेकर घर नहीं आना चाहिए। आप चाहें तो वापसी के समय दरबार से जल-भभूति व कोई भी पढा हुआ सामान ला सकते हैं।
आमतौर पर मंदिर में लोग अपने हाथों से प्रसाद या अन्य चीजें अर्पित करने की इच्छा रखते हैं लेकिन यहां अपनी इस इच्छा को मन में ही रखें। किसी भी मंदिर में अपने हाथ से कुछ न चढाएं।
बालाजी में एक बार वापसी का दरख्वास्त लगाने के बाद जितनी जल्दी हो सके वहां से निकल जाएं।
बालाजी जाएं तो सुबह और शाम की आरती में शामिल होकर आरती के छीटें लेने चाहिए। यह रोग मुक्ति एवं ऊपरी चक्कर से रक्षा करने वाला होता है।
बालाजी जाएं तो वापसी के समय यह देख लें कि आपकी जेब, थैले या बैग में खाने-पीने की कोई चीज नहीं हो। क्योंकि यह नियम है कि यहां से खाने पीने की चीजें वापस नहीं लानी चाहिए।
रजस्वला स्त्रियों को 7 दिनों तक मन्दिर में नहीं जाना चाहिए और ना ही जल-भभूत लेनी चाहिए।
जब तक श्री बालाजी धाम में रहें तब पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें, स्त्री प्रसंग से बचना चाहिए।
इस बात का ध्यान रखें कि मंदिर में जो प्रसाद मिले वह स्वयं खाएं। प्रसाद न किसी दूसरे को दें और न किसी दूसरे से प्रसाद लें।
बालाजी के दरबार में पैर फैलाकर नहीं बैठना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि यहां वापसी के दरख्वास्त के लड्डू नहीं खाएं।