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करवा चौथ के बाद आ रहा है संतान की दीर्घायु के लिए व्रत

 

Ahoi Ashtami 2020: करवा चौथ के बाद आ रहा है संतान की दीर्घायु के लिए व्रत

Ahoi Ashtami 2020: करवा चौथ व्रत के बाद अब संतान की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला व्रत अहोई अष्टमी आ रहा है। यह व्रत 8 नवंबर को रखा जाएगा। हर साल कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता है। महिलाएं इस दिन अपने संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए उपवास करती हैं। साथ ही अहोई देवी की पूजा करती है। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा।

अहोई अष्टमी मुहूर्त
अष्टमी तिथि आरंभ- सुबह 7 बजकर 28 मिनट से (8 नवंबर)
अष्टमी तिथि समाप्त- सुबह 6 बजकर 50 मिनट तक (9 नवंबर)
पूजा का समय- शाम 5 बजकर 26 मिनट से शाम 6 बजकर 46 मिनट तक (8 नवंबर)

अहोई अष्टमी व्रत विधि

  • माताएं सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें।
  • अहोई माता की पूजा के लिए दीवार पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं।
  • साथ ही सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं।
  • सायंकाल के समय पूजन के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखें।
  • उस पर जल से भरा कलश रखें।
  • रोली-चावल से माता की पूजा करें।
  • मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं।
  • कलश पर स्वास्तिक बना लें और हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें।
  • इसके उपरान्त तारों को अर्घ्य देकर अपने से बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।

अहोई अष्टमी व्रत का महत्व
अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने से संतान के कष्टों का निवारण होता है एवं उनके जीवन में सुख-समृद्धि व तरक्की आती है। ऐसा माना जाता है कि जिन माताओं की संतान को शारीरिक कष्ट हो, स्वास्थ्य ठीक न रहता हो या बार-बार बीमार पड़ते हों अथवा किसी भी कारण से माता-पिता को अपनी संतान की ओर से चिंता बनी रहती हो तो माता द्वारा विधि-विधान से अहोई माता की पूजा-अर्चना व व्रत करने से संतान को विशेष लाभ होता है।

कौन हैं मां अहोई
अहोई, अनहोनी शब्द का अपभ्रंश है। अनहोनी को टालने वाली माता देवी पार्वती हैं। इसलिए इस दिन मां पार्वती की पूजा-अर्चना का भी विधान है। अपनी संतानों की दीर्घायु और अनहोनी से रक्षा के लिए महिलाएं ये व्रत रखकर साही माता एवं भगवती पार्वती से आशीष मांगती हैं।

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