[ad name="HTML"] .. हनुमान चालीसा - अर्थ .. Doha With the dust of Guru's lotus feet, I fiirst clean the mirror of my heart and then narrrate the sacred glory
Sanskrit Hanuman Chalisa 2
श्रीसरस्वतीचालीसा ॥दोहा॥ जनकजननिपद्मरज, निजमस्तकपरधरि।बन्दौंमातुसरस्वती, बुद्धिबलदेदातारि॥ पूर्णजगतमेंव्याप्ततव, महिमाअमितअनंतु।दुष्जनोंकेपापको, मातुतुहीअबहन्तु॥ जयश्रीसकलबुद्धिबलरासी।जयसर्वज्ञअमरअविनाशी॥ जयजयजयवीणाकरधारी।करतीसदासुहंससवारी॥ रूपचतुर्भुजधारीमाता।सकलविश्वअन्दरविख्याता॥ जगमेंपापबुद्धिजबहोती।तबहीधर्मकीफीकीज्योति॥ तबहीमातुकानिजअवतारी।पापहीनकरतीमहतारी॥ वाल्मीकिजीथेहत्यारा।तवप्रसादजानैसंसारा॥ रामचरितजोरचेबनाई।आदिकविकीपदवीपाई॥ कालिदासजोभयेविख्याता।तेरीकृपादृष्टिसेमाता॥ तुलसीसूरआदिविद्वाना।भयेऔरजोज्ञानीनाना॥ तिन्हनऔररहेउअवलम्बा।केवकृपाआपकीअम्बा॥ करहुकृपासोइमातुभवानी।दुखितदीननिजदासहिजानी॥ पुत्रकरहिंअपराधबहूता।तेहिनधरईचितमाता॥ राखुलाजजननिअबमेरी।विनयकरउंभांतिबहुतेरी॥ मैंअनाथतेरीअवलंबा।कृपाकरउजयजयजगदंबा॥ मधुकैटभजोअतिबलवाना।बाहुयुद्धविष्णुसेठाना॥ समरहजारपाँचमेंघोरा।फिरभीमुखउनसेनहींमोरा॥ मातुसहायकीन्हतेहिकाला।बुद्धिविपरीतभईखलहाला॥ तेहितेमृत्युभईखलकेरी।पुरवहुमातुमनोरथमेरी॥ चंडमुण्डजोथेविख्याता।क्षणमहुसंहारेउनमाता॥ रक्तबीजसेसमरथपापी।सुरमुनिहदयधरासबकाँपी॥ काटेउसिरजिमिकदलीखम्बा।बारबारबिनवउंजगदंबा॥ जगप्रसिद्धजोशुंभनिशुंभा।क्षणमेंबाँधेताहितूअम्बा॥
मंगलवार व्रत की आरती Mangalvar Vrat Ki Aarti मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता, मंगल मंगल देव अनन्ता हाथ वज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेउ साजे शंकर सुवन केसरी नन्दन,
आरती दुर्गा जी की (Aarti Sri Durga Ji Ki) जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निश दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥ मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को। उज्ज्वल
आरती गणेश जी की (Aarti Ganesh Ji Ki) जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे पे सिंदूर सोहे,
श्री जानकीनाथ जी की आरती (Shri Janki Nath Ji Ki Aarti) ओउम जय जानकिनाथा, हो प्रभु जय श्री रघुनाथा। दोउ कर जोड़े विनवौं, प्रभु मेरी सुनो बाता॥ ओउम॥ तुम रघुनाथ
आरती श्री शनि देव जी की Shri Shani Dev Ji Ki Aarti जय जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी, सूर्य पुत्र प्रभुछाया महतारी॥ जय जय जय शनि देव॥ श्याम
श्री रामायण जी की आरती (Aarti Shri Ramayan Ji ki) महर्षि वाल्मीकि आरति श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिय पी की॥ गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद। बाल्मीकि बिग्यान बिसारद॥