इस बार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 29 अगस्त 2021 रविवार को रात 11 बजकर 25 मिनट से हो रहा है। इस तिथि का समापन 30 अगस्त दिन सोमवार को देर रात 01 बजकर 59 मिनट पर होगा। मतलब यह कि 30 अगस्त को रात्रि में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
1. परंपरा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का इस बार 5248वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा जबकि शोधानुसार 3112 ईसा पूर्व को उनका जन्म हुआ था। मतलब यह कि 3112+2021=5133 अर्थात यह उनका 5133वां जन्मदिन होगा, परंतु परंपरा से प्राप्त जन्मोत्सव को ही सही माना जाता है, क्योंकि शोध तो अपडेट होते रहते हैं।
2. श्री कृष्ण ने विष्णु के 8वें अवतार के रूप में 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के 7 मुहूर्त निकल गए और 8वां उपस्थित हुआ तभी आधी रात के समय सबसे शुभ लग्न में उन्होंने जन्म लिया। उस लग्न पर केवल शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। तब रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में उनका जन्म हुआ था। ज्योतिषियों के अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था।
3. कृष्ण के जन्म के समय 8 अंक का संयोग रहा है। श्रीकृष्ण ने अपने जन्म की परिस्थिति को दुनिया में सबसे अलग बनाया। क्या आप नहीं जानते हैं कि दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति के जन्म की परिस्थिति अलग होती है लेकिन जो महान लोग होते हैं वे अपने जन्म की परिस्थिति को कठिन बनाते हैं। जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तब उनके माता पिता कारागार में कैद थे। भारी बारिश हो रही थी और यमुना नदी में उफान था। उनके माता और पिता को उनकी मृत्यु का डर था। अंधेरा भी भयंकर था, क्योंकि उस वक्त बिजली नहीं होती थी।
4. भगवान श्रीकृष्ण जन्म रात्रि में हुआ था और व्रत के लिए उदया तिथि मान्य है, ऐसे में इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व 30 अगस्त को रहेगा और दिनभर व्रत रख सकते हैं। इस स्थिति में आप 31 अगस्त को प्रात: 09 बजकर 44 मिनट के बाद पारण कर सकते हैं क्योंकि इस समय ही रोहिणी नक्षत्र का समापन होगा।