मधुमेह मुझे ही क्यों हुआ ?
यह बहुत सामान्य और सहज प्रश्न उठता है कि यह मुझे क्यों, कैसे, क्या गलती रही.. आओ इसे जानें
भोजन के बाद मीठा खाना मानसिक तनाव चिंता से अस्थाई रूप से रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है जो कुछ समय में सामान्य होता है। किंतु जब अंतः स्रावी ग्रंथियां , क्लोम, पिट्टयूरी , एड्रिनल , थायराइड आदि कार्बोहाइड्रेट के चयापचय चक्र को अव्यवस्थित छोड़ दें अर्थात रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने में असफल हो जाएं अथवा कुछ अन्य कारण हैं जिनसे क्लोम ग्रंथि बीटा कोशिकाएं निष्क्रिय होने लगती हैं और मधुमेह हो जाता है।
अनुवांशिक माता पिता दादा दादी नाना नानी मधुमेही है तो बच्चों के एम मधुमेही होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों के स्वास्थ्य के लिए शादी से पहले यह ध्यान रखें कि माता-पिता अथवा माता-पिता के परिवार दोनों मधुमेह रोगी ना हो। अत्यधिक मात्रा में इंसुलिन प्रयोग करने वाली माताओं के बच्चे जन्मजात मधुमेह से ग्रस्त हो सकते हैं। इसलिए ऐसी माताएं गर्भावस्था से पहले प्राकृतिक चिकित्सा के अनुरूप अपना मधुमेह नियंत्रित रखें अन्यथा बच्चे के लिए खतरा सिद्ध हो सकता है।
व्यवसाय बैठे रहकर कार्य करने वाले दुकानदार व्यवसाय अध्यापक वकील और अधिकारी वर्ग को मधुमेह होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि यकृत और क्लोम ग्रंथि निष्क्रिय हो जाती है वही मजदूर वर्ग खिलाड़ी श्रमिक किसान तथा श्रम का महत्व समझने वाले लोग सामान्यतः मधुमेही नहीं पाए जाते हैं।
आयु वर्ग मधुमेह किसी भी आयु में हो सकता है 40 की आयु के पश्चात ऐसे रोगियों की संख्या अत्यधिक होती है। युवा वर्ग में होने वाला मधुमेह है अनुवांशिक नहीं होता बचपन युवावस्था अनुवांशिकता तथा कमजोर शरीर के मधुमेह रोगियों को ठीक होने में काफी परिश्रम तथा धैर्य की आवश्यकता होती है।
वसा आहार इंसुलिन के अभाव में अथवा जब इंसुलिन अपना कार्य ठीक तरह नहीं कर पाता तब कोषाणुओं को पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज नहीं मिल पाता रक्त में ग्लूकोज जमा होने लगता है परंतु उसका उपयोग कोशिकाएं नहीं कर पाते हैं ठीक वैसे ही जैसे जल में रहकर प्यासे का मर जाना रक्त ग्लूकोज पड़ने पर अतिरिक्त ग्लूकोज मूत्र से बाहर निकलने लगता है।
अधिकांशत वयस्कों एवं प्रौढ़ में ग्लोब ग्रंथि की खराबी के कारण इंसुलिन की कमी मधुमेह का कारण नहीं है बल्कि कोषाणुओं द्वारा इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाना ऐसी स्थिति में कोशिकाएं एक प्रकार से लकवा ग्रस्त या संज्ञा ही न हो जाती हैं ऐसी स्थिति मोटापे से ग्रस्त लोगों में ज्यादा दिखती है अथवा जो वसा और चिकनाई वाले आहार अधिक लेते हैं।
वातावरण जाति देश ऐसी जाती है जो भोजन में हाई कार्बन शराब आदि लेती हैं उनमें यह अधिक पाया जाता है अमेरिकी यहूदियों में इसराइल की अपेक्षा ऐसे रोगियों की संख्या अधिक है भारत में भी शहरी जनसंख्या 8% से 10% और ग्रामीण 2% से 4% मधुमेह से ग्रस्त है।
आधुनिकता की चकाचौंध मैं जो महिलाएं पराग परंपरागत श्रम चक्की चलाना दही बिलोना आदि को छोड़कर नजाकत का जीवन जी रही हैं उन्में मधुमेह की संख्या लगातार बढ़ रही है।
अनेक कारणों में प्रमुख रूप से मधुमेह में मोटापा, अधिक चर्बी, कार्बोहाइड्रेट खाने , तनाव चिंता क्रोध ईर्ष्या द्वेष प्रतिस्पर्धा भावनात्मक और स्नायु दबाव के कारण एड्रिनल ग्रंथि से निकलने वाले तनाव के हार्मोन , मधुमेह होने की संभावना को बढ़ा देते हैं। धूम्रपान और शराब का सेवन विषाणु संक्रमण गर्भावस्था का कुपोषण तथा कुछ दवाएं जैसे स्टेरॉयड औषधियां काटीजोन आदि के लगातार प्रयोग से क्लोम ग्रंथि की बीटा कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं इसी प्रकार एस्ट्रोजन भी मधुमेह पैदा करता है अतः मधुमेह के रोगियों के लिए स्टेरॉइड औषधियां जानलेवा सिद्ध हो सकती हैं एड्रिनल दिल गर्भनिरोधक गोलियां लेसिक्स डायटाइट आदि मूत्रवर्धक शक्कर मिश्रित खांसी के सिरप कार्दीको स्टेरॉइड प्रेडिनीसोलन डेक्सामेथासोन आदि औषधियां** इंसुलिन के प्रभाव को समाप्त कर रक्त शर्करा की वृद्धि करती हैं।
अन्त में प्रमुख हानिकारक आहार जैसे परि शोधित कर्बोज और उन से बने आहार चीनी चावल मैदा मिठाईयां चॉकलेट पिपरमेंट की गोलियां जैम डिब्बाबंद आहार पेस्ट्रीज आदि कन्फेक्शनरी सिंथेटिक आहार शराब मांस तले भुने आहार का अधिक प्रयोग मधुमेह रोग पैदा करता है। यह यकृत गुर्दे और अग्न्याशय को क्षतिग्रस्त कर इन अंगों की कार्यक्षमता को कम करता है। आहार में क्षारीय तत्वों तथा विटामिन b1 b2 b3, सी तथा ई की कमी से मधुमेह रोग होता है।