नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा प्रधान रूप से की जाती है। कुछ प्रदेशों में चैत्र
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन के 3 दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से 5 दिन पहले जो तीज आती है उसे सातुड़ी तीज, कजली तीज, कजरी तीज के रूप में
प्रचीन काल या मध्यकाल में राखियां जैसी होती थीं आजकल वैसी नहीं होती। अब तो राखी को स्वरूप बहुत बदल गया है। राखी का स्वरूप ही नहीं बदला बल्कि पहले
दक्षिण भारत में ओणम का प्रसिद्ध त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्र माह की शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। जबकि मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम माह में यह त्योहार
नागपंचमी विशेष : नागदेव से करें यह प्रार्थनापंचम्यां तत्र भविता ब्रह्मा प्रोवाच लेलीहान।तस्मादियं महाबाहो पंचमी दयिता सदा।नागानामानन्दकरी दंत वै ब्रह्नणा पुरा।। अर्थात : ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को ही नाग-सर्पों
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार माह की त्रयोदशी तिथि में सायंकाल को प्रदोष काल कहा जाता है। इस प्रदोष व्रत को मंगलकारी एवं शिव की कृपा दिलाने वाला माना गया है।
ദേവീമാഹാത്മ്യസ്തോത്രം അഥവാ ദുർഗാസ്തോത്രം ലക്ഷ്മീശേ യോഗനിദ്രാം പ്രഭജതി ഭുജഗാധീശതൽപേ സദർപൗ ഉത്പന്നൗ ദാനവൗ തച്ഛ്രവണമലമയാംഗൗ മധും കൈടഭം ച . ദൃഷ്ട്വാ ഭീതസ്യ ധാതുഃ സ്തുതിഭിരഭിനുതാം ആശു തൗ നാശയന്തീം ദുർഗാം ദേവീം പ്രപദ്യേ ശരണമഹമശേഷാപദുന്മൂലനായ .. 1.. യുദ്ധേ നിർജിത്യ
ದೇವೀಮಾಹಾತ್ಮ್ಯಸ್ತೋತ್ರಂ ಅಥವಾ ದುರ್ಗಾಸ್ತೋತ್ರಂ ಲಕ್ಷ್ಮೀಶೇ ಯೋಗನಿದ್ರಾಂ ಪ್ರಭಜತಿ ಭುಜಗಾಧೀಶತಲ್ಪೇ ಸದರ್ಪೌ ಉತ್ಪನ್ನೌ ದಾನವೌ ತಚ್ಛ್ರವಣಮಲಮಯಾಂಗೌ ಮಧುಂ ಕೈಟಭಂ ಚ . ದೃಷ್ಟ್ವಾ ಭೀತಸ್ಯ ಧಾತುಃ ಸ್ತುತಿಭಿರಭಿನುತಾಂ ಆಶು ತೌ ನಾಶಯಂತೀಂ ದುರ್ಗಾಂ ದೇವೀಂ ಪ್ರಪದ್ಯೇ ಶರಣಮಹಮಶೇಷಾಪದುನ್ಮೂಲನಾಯ .. 1.. ಯುದ್ಧೇ ನಿರ್ಜಿತ್ಯ
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